पटना: गरमी में भले स्कूल बंद हो जायें, लेकिन फीस जमा करनी ही पड़ती है. बच्चे भले स्कूल ना जायें, वहां के लैब व लाइब्रेरी का उपयोग न करें, लेकिन उन्हें उनका शुल्क देना ही होता है. दरअसल समर वैकेशन के पहले ही हर निजी स्कूल छात्रों से पूरे दो माह का फीस वसूल लेते हैं. अभिभावकों के खर्च में कोई कटौती नहीं होती है. यही नहीं, अभिभावकों को ट्यूशन फी के साथ कई ऐसे शुल्क भी देने होते हैं, जिसका यूज बच्चे उक्त माह में नहीं करते हैं.
बिना रसीद का लिया जाता है बस का भाड़ा
गरमी छुट्टी के दौरान लिये जानेवाले चार्ज के लिए स्कूल की ओर से कोई रसीद नहीं दी जाती है. ऐसे में अभिभावक मौखिक विरोध के अलावा कुछ नहीं कर पाते हैं. अभिभावक ज्योति प्रधान ने बताया कि गरमी छुट्टी के समय स्कूल जब माह भर के लिए बंद होता है, तो बस की फीस शुरू में ले ली जाती है, जबकि हर माह यह फीस माह के अंत में ली जाती है. इसका कोई रसीद भी स्कूल वाले नहीं देते हैं. उन्होंने बताया कि यही नहीं लैब व कंप्यूटर के साथ बिजली के शुल्क भी ले लिये जाते हैं, जबकि समर वैकेशन में बच्चे इन चीजों का उपयोग नहीं करते हैं.
कांट्रेक्ट वाले भी फीस लेने में नहीं रहते पीछे
पटना के कई ऐसे स्कूल हैं, जिनकी अपनी बसें नहीं हैं. लेकिन जब फीस लेने की बात आती है, तो स्कूल की ओर से बस फीस की वसूली की जाती है. साल भर स्कूल प्रशासन बसों की किसी भी तरह की जिम्मेवारी लेने से इनकार करता है, लेकिन गरमी छुट्टी के दौरान अगर कोई स्टूडेंट बस फीस देने से इनकार करता है, तो इसके लिए बच्चे को स्कूल से निकाल देने की धमकी तक दी जाती है. ऐसे में जिन स्कूलों की अपनी बसें हैं, वे तो फीस लेते ही हैं और जिनकी बसें नहीं हैं, वे स्कूल भी फीस लेने में पीछे नहीं रहते हैं.
इनके नाम पर ली जाती फीस
बस : 1500 से 2000 रुपये
लाइब्रेरी : 100 से 200 रुपये
एक्टिविटीज : 200 से 500 रुपये
साइंस लैब : 100 से 150 रुपये
कंप्यूटर : 50 से 100 रुपये
स्कूलों की ओर से गरमी छुट्टी में कई तरह के अलग-अलग चार्ज लेना गलत है. हमारे पास भी अभिभावकों की शिकायतें आती हैं. जब बच्चे स्कूल जाते नहीं हैं, तो फिर बस के नाम पर फीस क्यों ली जाती है. यह गलत है.
– डीके सिंह, बिहार राज्य प्राइवेट स्कूल चिल्ड्रेन वेलफेयर एसोसिएशन
अभिभावक बोले
तो कहते हैं हटा लें बच्चे को
गरमी छुट्टी के पहले ही कई तरह के शुल्क स्कूल की ओर से लिये जाते हैं, साथ ही ये शुल्क छुट्टी शुरू होने के पहले यानी मई में ही स्कूल प्रशासन जमा करवा लेता है. विरोध कहने पर स्कूल वाले कहते हैं कि बच्चे को दूसरे स्कूल में डाल लें.
राजीव सिंह
2000 रुपये फीस देते हैं
गरमी छुट्टी में तो बच्चे घर में ही रहते हैं. ऐसे में बस फी देने का कोई मतलब नहीं होता है, लेकिन हर साल स्कूल बस फीस लेती है. महीने में एक हजार रुपये फीस देती हूं. इसका रसीद भी नहीं देता है.
पारुल प्रिया