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मृत ध्रुव की मां और उसके भाई को पुलिस ने भेजा जेल
पटना : ड्राइवर ध्रुव पासवान की मौत की गुत्थी अब तक सुलझी नहीं है. घरवाले इसे आत्महत्या का मामला बता रहे हैं, जबकि पुलिस को शक है कि उसकी हत्या की गयी है. हकीकत सामने लाने के लिए पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है. लेकिन उसकी मौत के बाद जिस तरह से घरवालों ने […]
पटना : ड्राइवर ध्रुव पासवान की मौत की गुत्थी अब तक सुलझी नहीं है. घरवाले इसे आत्महत्या का मामला बता रहे हैं, जबकि पुलिस को शक है कि उसकी हत्या की गयी है. हकीकत सामने लाने के लिए पुलिस को पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है.
लेकिन उसकी मौत के बाद जिस तरह से घरवालों ने भूकंप के झटके के कारण सिर फटने की बात कही और फिर पूछताछ के बाद उनकी निशानदेही पर पिस्तौल बरामद की गयी, इससे उनकी भूमिका संदेह के घेरे में है. पुलिस झूठ बोलने और साक्ष्य मिटाने के आरोप में मां और छोटे बेटे को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है.
पुलिस के अनुसंधान में अब तक इस घटना के पीछे पैतृक संपत्ति की बिक्री के बाद मिले 5.50 लाख रुपये का विवाद सामने आया है. मां और उसके दोनों बेटों ने यह बात पुलिस के सामने कबूल किया है. उनके मुताबिक कुर्जी में उनका एक छोटा-सा प्लॉट था.
इस प्लॉट को ध्रुव ने बेच दिया था. इसके एवज में उसे 5.50 लाख रुपये मिले थे, जिसके हिस्से को लेकर दोनों भाई, मां का ध्रुव से विवाद चल रहा था. इसको लेकर कई बार लड़ाई भी हुई थी, लेकिन घटना के दिन कैसे-क्या हुआ, यह अभी उजागर नहीं हो सका है.
घरवालों का कहना है कि ध्रुव ने तनाव में आकर खुद को गोली मार ली, लेकिन जिस तरह शुरुआत में घरवालों ने झूठ बोला, उससे वे शक के दायरे में आ गये हैं. इसे लेकर पुलिस भी स्पष्ट रूप से कहने की स्थिति में नहीं है.
कहीं डर के मारे तो नहीं दी गलत सूचना
घटना के दिन ध्रुव की लाश से काफी दूर दरवाजे के पास मांस के लोथड़े मिले थे. ऐसा लग रहा था कि उसे किसी ने हाथ से उठा कर दरवाजे के पास रख दिया है. अगर यह सही है तो यह भी साफ है कि जब घरवालों ने शोर मचाया, उससे काफी देर पहले ही ध्रुव की मौत हो चुकी थी.
उसकी मौत के बाद राज छुपाने की कोशिश की गयी. जिस पिस्तौल से उसकी मौत हुई उसे पड़ोसी के घर छुपाया गया. अब सवाल यह है कि घरवालों ने ही उसे मार दिया या फिर विवाद के दौरान ध्रुव के आत्महत्या कर लेने के बाद फंसने के डर से पुलिस को गलत सूचना दी.
भूकंप से मौत का मुआवजा लेने की मंशा तो नहीं थी
ध्रुव के मौत के बाद जिस तरह से घरवाले इसे प्राकृतिक आपदा साबित करने में लगे थे, इससे यह भी सवाल उठता है कि जिस 5.50 लाख रुपये को लेकर विवाद चल रहा था, उसकी पूर्ति के लिए भूकंप से मौत बता कर सरकार की तरफ से पांच लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्राप्त करने की योजना तो नहीं थी. फिलहाल पुलिस मामले की छानबीन कर रही है.
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