पटना: बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज का चुनाव विवादों के घेरे में आ गया है. उम्मीदवारों के नामांकन की प्रक्रिया पर सवाल उठने लगा है. खासकर महासचिव पद के लिए एकेपी सिन्हा की उम्मीदवारी का कुछ सदस्य विरोध कर रहे हैं. यह पहला मौका है, जब चैंबर के चुनाव में अनियमितता का आरोप लग रहा है और सदस्यों द्वारा आवाज उठायी जा रही है.
क्यों उठ रही आवाज
महासचिव के एक पद के लिए दो उम्मीदवारों वर्तमान महासचिव एकेपी सिन्हा व महावीर बिदासरिया ने परचा भरा है. श्री सिन्हा लगातार दो साल (2010-11 व 2011-12) कार्यसमिति के सदस्य रहे. इसके बाद को-ऑप्ट होकर 2012-13 में महासचिव बने. चैंबर सदस्यों का आरोप है कि 2012-13 में श्री सिन्हा नियमत: चुनाव नहीं लड़ सकते थे, इसलिए आमसभा में निर्विरोध चुने गये.
महासचिव संजय खेमका से त्यागपत्र लेकर श्री सिन्हा को पिछले दरवाजे से महासचिव बना दिया गया. एक बार फिर खुलेआम गलत तरीकेसे महासचिव पद का उम्मीदवार घोषित कियागया है.
बिदासरिया ने लिखा पत्र
एकेपी सिन्हा की उम्मीदवारी रद्द करने के लिए महावीर बिदासरिया ने चैंबर अध्यक्ष, चुनाव अधिकारी व रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी को पत्र लिखा है. रजिस्ट्रार ऑफ कंपनी ने चैंबर को भी इस संबंध में नोटिस जारी किया है. बिदासरिया ने कहा है कि वर्तमान महासचिव नामांकन के लिए योग्य नहीं हैं. इनका परचा रद्द होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं किया जा रहा है.
नियम के विरुद्ध उम्मीदवारी
श्री बिदासरिया ने कहा है कि एकेपी सिन्हा लगातार तीन वर्षो से कमेटी में सदस्य और पदाधिकारी रह चुके हैं और चौथे वर्ष फिर से महासचिव पद के उम्मीदवार बने हैं.यह सरासर नियम के खिलाफ है. इनकी उम्मीदवारी रद्द होनी चाहिए. जब मामला कंपनी रजिस्ट्रार के यहां गया, तो चैंबर ने आपत्ति दाखिल करने की समय सीमा पर होने की दलील देकर इस विवाद को विराम देने का प्रयास किया गया, जबकि चैंबर में किसी नामांकन की वैधता पर आपत्ति दाखिल करने की कोई नियमावली नहीं है और अध्यक्ष को संविधान अनुरूप निर्णय लेने का अधिकार है.