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फाइलों में ही बंद रह गया वरीय अफसरों का आदेश
पटना: जिला योजना कार्यालय के 3.56 करोड़ रुपये सरकारी राशि के गबन की जांच में पुलिसिया लापरवाही कम नहीं है. सत्रह महीने बाद भी इस कांड का खुलासा नहीं होने के पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि न तो वरीय अधिकारी और न ही जांच अधिकारी इस मामले में कोई रुचि दिखा रहे हैं. […]
पटना: जिला योजना कार्यालय के 3.56 करोड़ रुपये सरकारी राशि के गबन की जांच में पुलिसिया लापरवाही कम नहीं है. सत्रह महीने बाद भी इस कांड का खुलासा नहीं होने के पीछे सबसे बड़ा कारण यही है कि न तो वरीय अधिकारी और न ही जांच अधिकारी इस मामले में कोई रुचि दिखा रहे हैं. कागज पर केस को जिंदा रखने के लिए तत्कालीन एएसपी (नगर) ने दिसंबर 2014 में जांच अधिकारी को आठ बिंदुओं पर जांच कर कार्रवाई का निर्देश दिया था, मगर चार महीने बाद भी नतीजा सिफर है.
आरोप सत्य, फिर भी गिरफ्तारी नहीं
केस का सुपरविजन करते हुए तत्कालीन एएसपी (सिटी) ने भी सभी दस आरोपियों के विरुद्ध लगे आरोपों को सत्य माना था. फिर भी उनमें से किसी एक को भी गिरफ्तार नहीं किया गया. जांच अधिकारी ने चार आरोपियों के खिलाफ 20 दिसंबर, 2014 को ही न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट लिया था. इनमें पेंटागन ग्लोबल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड, चेन्नई के एमडी प्रो टी महादेवन, दामोदरन स्टील, चेन्नई के श्रीनिवासन, ताना स्ट्रीट, चेन्नई के विकास माड्या व बलिया (यूपी)के उपेंद्र कुमार सहनी शामिल हैं.
इन आरोपितों की भी अब तक गिरफ्तारी नहीं : अजय कुमार (टाटा नगर), पवन मिश्र (पटना), साशिम (दिल्ली), राजेश (दिल्ली) के अलावा मेसर्स भैरव इंफो के प्रबंधक भी आरोपितों में शामिल हैं तथा इनकी गिरफ्तारी नहीं हुई है.
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