संवाददाता,पटना गर्भधारण के दौरान महिलाओं में हार्मोनल डिसऑर्डर से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है. इसकी पुष्टि के लिए बेहतर समय 24-30 सप्ताह का है. सही समय पर जांच करने से मधुमेह को कंट्रोल किया जा सकता है और जच्चा व बच्चा दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है. गर्भवती महिलाओं को अगर मधुमेह होता है,तो इसका असर बच्चे पड़ पड़ता है. ये बातें रविवार को वेस्टर्न पटना डॉक्टर्स क्लब की ओर से अक्षत सेवा सदन में एक संगोष्ठी में स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ शांति राय ने कहीं. उन्होंने कहा कि गांव की महिलाएं आज भी गर्भधारण के बाद उस वक्त तक डॉक्टर से संपर्क नहीं करती हैं जब तक उन्हें कोई परेशानी नहीं हो. ऐसे में कभी-कभी मामला गंभीर हो जाता है और असर बच्चे पर पड़ता है. डॉ राजीव रंजन ने कहा कि टाइप 2 केस 90 प्रतिशत के करीब है. कार्यक्रम में डॉ एए हई, डॉ प्रकाश कुमार वर्मा, डॉ अमूल्य कुमार सिंह, डॉ जिवेंदु चौधरी, डॉ मनीषा सिंह, डॉ अमिता सिंह, डॉ नीता नाथ, डॉ निर्मल, डॉ राकेश चौधरी, डॉ अनिल कुमार, डॉ यूके गुप्ता व डॉ सुभाष समेत कई डॉक्टर मौजूद थे.
गर्भवती महिलाओं में मधुमेह का खतरा अधिक : डॉ शांति राय
संवाददाता,पटना गर्भधारण के दौरान महिलाओं में हार्मोनल डिसऑर्डर से मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है. इसकी पुष्टि के लिए बेहतर समय 24-30 सप्ताह का है. सही समय पर जांच करने से मधुमेह को कंट्रोल किया जा सकता है और जच्चा व बच्चा दोनों को स्वस्थ रखा जा सकता है. गर्भवती महिलाओं को अगर मधुमेह होता […]
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