Advertisement
शहर नरक बना हुआ है, आप अधिकारियों की क्या दरकार?
पटना: पटना सबसे गंदी राजधानी में शुमार है, कचरा उठता नहीं है, जल जमाव घटता नहीं है, ट्रैफिक बेतरतीब है. समस्याएं अनंत है, समाधान कुछ नहीं तो फिर आप अधिकारियों की जरूरत ही क्या है? चैंबर भवन में जब प्रमंडलीय आयुक्त बाला प्रसाद, नगर आयुक्त शीर्षत कपिल अशोक और ट्रैफिक एसपी प्राणतोष कुमार दास समस्याओं […]
पटना: पटना सबसे गंदी राजधानी में शुमार है, कचरा उठता नहीं है, जल जमाव घटता नहीं है, ट्रैफिक बेतरतीब है. समस्याएं अनंत है, समाधान कुछ नहीं तो फिर आप अधिकारियों की जरूरत ही क्या है? चैंबर भवन में जब प्रमंडलीय आयुक्त बाला प्रसाद, नगर आयुक्त शीर्षत कपिल अशोक और ट्रैफिक एसपी प्राणतोष कुमार दास समस्याओं को सुनने समझने के लिए पूर्व निर्धारित बैठक में पहुंचे, तो उन्हें एक सदस्य के इसी तीखे सवाल का सामना करना पड़ा.
सवाल सुन कर बिफरे प्रमंडलीय आयुक्त ने कहा कि आपने बुलाया ही क्यों है? समाधान के लिए ही ना? प्रत्युत्तर मिला..आप भले इसे जो समङों सर, लेकिन शहर की हकीकत यही है.
ये बुनियादी सुविधाएं हैं सर. कोई असंभव चीज नहीं. आपको पेशेंस तो रखना चाहिए. कमिश्नर ने कहा. इसके बाद चैंबर अध्यक्ष ओपी शाह बीच में आये और मुद्दे को शांत किया.
नहीं है कोई प्लान
इस दौरान चैंबर के एक वरिष्ठ सदस्य ने भी कहा कि मैं 1947-48 से शहर को देख रहा हूं. जब एग्जिबिशन रोड में दो से तीन घंटे में एक गाड़ी पास करती थी. शहर बड़ा हुआ, तो पीआरडीए बना लेकिन व्यवस्थित करने के लिए मास्टर प्लान भी नहीं बन सका. सफाई का इतना बुरा हाल है कि जल जमाव एक दु:स्वपन बन गया है. हर साल अधिकारी जल जमाव के बाद दंड बैठक करते हैं, लेकिन क्या परिणाम निकलता है? समस्याओं का संजाल था जो अधिकारियों के मत्थे थोपा जा रहा था. किसी ने कहा कि बिल्डर की प्रजाति लुप्त हो रही है, तो एक ने पटना सिटी के बुरे हाल के बारे में बताते हुए कहा कि सुबह जब दुकान खोलने आते हैं, तो देखते हैं कि पेशाब किया हुआ रहता है. न्यू मार्केट में स्ट्रीट लाइट नहीं बन सका, बाथरूम भी नहीं. कैसी व्यवस्था बनायी सरकार और उसके अधिकारियों ने?
हम फर्क लायेंगे इसीलिए यहां हैं
जब सवालों को सुनने के बाद जवाब देने की बारी आयी तो जहां नगर आयुक्त अपनी मजबूरियां और योजनाओं की फेहरिस्त बताने में मशरूफ हो गये. प्रमंडलीय आयुक्त ने उस सदस्य के तीखे सवाल का जवाब देते हुए भरोसा दिलाया कि हम फर्क लायेंगे और इसीलिए वे यहां हैं. उन्होंने कहा कि वे पटना में एक अधिकारी और नागरिक के तौर पर तीस सालों से रह रहे हैं. सभी समस्याएं वाजिब है, लेकिन आपको समय देना होगा और स्वयं एक उदाहरण भी पेश करना होगा. एक उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारी अफसर कॉलोनी में रहते हैं. वहां भी सफाई की जिम्मेदारी निगम की है, लेकिन हमने मिल कर एक सफाई एजेंसी रखी है. आप व्यवसायी भी सक्षम हैं और उदाहरण पेश करें. हम समस्याओं के बाबत गंभीर हैं और फर्क बहुत जल्द सबको दिखेगा.
चैंबर ने दिये सुझाव
ट्रैफिक को वन वे किया जाये. इससे गाड़ियां सुगमता से चलेगी. कोलकाता और बनारस की तंग गलियों में जब गाड़ियां चलायी जा सकती है तो यहां क्यों नहीं?
यातायात बाधित रहने वाला बोर्ड डिस्पले वाला प्रयोग अन्य सड़कों पर भी करें.
ट्रैफिक पुलिस एक ही जगह दिखाई देती है, उनको स्ट्रीमलाइन करें.
पाटलिपुत्र इंडस्ट्रीयल एरिया में दिन में वाहनों का प्रवेश दानापुर की तरफ से होने दिया जाये. इसे वहां के एसडीओ ने रोक दिया है.
जामवाले स्थानों पर वॉकी टॉकी से लैस जवान लगाये जाये , क्रेन की व्यवस्था रहे.
पार्किंग की समस्या भी रोड जाम को बढ़ाती है. डिवाइडर और नये बन रहे ओवर ब्रीज के नीचे पार्किग की व्यवस्था की जाये.
नगर निगम सफाई और सौंदर्यीकरण के मामले में कोई ठोस पहल नहीं हो पा रही है.
वार्ड में एक सफाई समिति की गठन किया जाये जो निगम को फीड बैक देते रहे.
रात में कूड़ा उठाया जाये.
कूड़े को डंप करने की भी उचित व्यवस्था हो, बायो फर्टिलाइजर बनाने की इकाई स्थापित की जाये. -बारिश आने वाली है, जल निकासी की समुचित व्यवस्था हो.
महत्वपूर्ण स्थानों पर टैक्सी स्टैंड बने, चालकों को नाम की पट्टी के साथ वरदी दी जाये.
गंगा के घाटों को विकसित एवं सौंदर्यीकृत किया जाये.
दाह संस्कार के लिए घाटों पर हो व्यवस्था.
पार्को के रख रखाव की समुचित व्यवस्था की जाये .
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement