उन्होंने राज्य भर से आये लाखों कार्यकर्ताओं का छह माह बाद होनेवाले विधानसभा चुनाव की तैयारी में अभी से जुट जाने का आह्वान किया. इसके लिए 10 परिवार पर एक सक्रिय कार्यकर्ता और प्रत्येक बूथ पर 15 से 20 सक्रिय कार्यकर्ताओं को तैनात रहने का टिप्स दिया. केंद्र की मोदी सरकार को घेरते हुए भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ एक दिन का उपवास रखने की भी घोषणा की और कहा कि इस अध्यादेश के विरोध में आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक केंद्र सरकार इसे वापस नहीं लेती है. अपने 64 मिनट के संबोधन में उन्होंने आम लोगों से और कार्यकर्ताओं से सीएम पद से अपने इस्तीफे के लिए माफी मांगी. साथ ही कार्यकर्ताओं से दूरी खत्म करने का भरोसा भी दिलाया.
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जदयू के कार्यकर्ता सम्मेलन में नीतीश ने बोला भाजपा पर हमला लालच देकर वोट लिया, दिया धोखा
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर हमला बोलते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने जनता को लालच देकर उनका वोट हासिल कर लिया और अब जब वादा पूरा करने की बारी आयी, तो उन्हें धोखा दे रही है. चौथी बार मुख्यमंत्री […]
पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार को पीएम नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पर हमला बोलते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने जनता को लालच देकर उनका वोट हासिल कर लिया और अब जब वादा पूरा करने की बारी आयी, तो उन्हें धोखा दे रही है. चौथी बार मुख्यमंत्री बनने के आठ दिन बाद ऐतिहासिक गांधी मैदान में आयोजित जदयू राज्यस्तरीय राजनीतिक सम्मेलन में उन्होंने अपने निशाने पर निवर्तमान सीएम जीतन राम मांझी को भी रखा. उन्होंने किसी का नाम लिये बिना कहा कि गड़बड़ी कोई कर रहा था और हम खलनायक बनते जा रहे थे.
गलती किसी की, ठीकरा मेरे सिर पर मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद जोश से भरे नीतीश ने सम्मेलन में कार्यकर्ताओं को चुनावी टास्क दिये. वहीं, उन्होंने मांझी व भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार में जो भी गलती हो रही थी, उसकी विरोधी आलोचना कर रहे थे और मेरे ऊपर जिम्मेदारी थोपी जा रही थी. जब पार्टी ने फैसला ले लिया, तो भाजपा का गेम प्लान फेल हो गया. भाजपा चाहती थी कि गलतियां होती रहें और उनका ठीकरा मेरे ऊपर फोड़ते रहे और विधानसभा चुनाव में बाजी मार ले जाये. अब उनकी बोली बदल गयी है. वे परेशान हो रहे हैं और उनकी परेशानी और बढ़ेगी.
नीतीश ने कहा कि जनता बहुमत देती, तभी मैं दोबारा सत्ता संभालता, लेकिन लोग कहने लगे कि जब कुछ बचेगा तब न संभालियेगा. इसी बीच तरह-तरह के बयान आने लगे. जिन्हें (जीतन राम मांझी) काम की जिम्मेदारी दी गयी थी, वे प्रवचन कर रहे थे. विकास को छोड़ कर महत्वाकांक्षा को साधने में लगे थे. नीतियों पर अमल नहीं हो रहा था. पार्टी ने मुख्यमंत्री बना कर अहम जिम्मेवारी दी. पार्टी का ख्याल व अहमियत नहीं समझ रहे थे. जिस पार्टी को मैंने, राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव समेत पार्टी के अन्य पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं ने खड़ा किया था, उसे कोई 10-20 बयान देकर खत्म कर देगा, ऐसा नहीं हो सकता. पार्टी अगर कोई पद देती है, तो ले भी सकती है. आज रोना-धोना क्यों हो रहा है? मुझ पर अनर्गल आरोप चस्पा नहीं कर सकते हैं. जिस दिन उन्हें मुख्यमंत्री पद पर बैठाया था तो ठीक था, लेकिन राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कह दिया कि पद खाली कर दें, तो बुरा लग गया. सात फरवरी तक मैं दुविधा में था कि सत्ता फिर से संभाले या नहीं. इसके लिए जीतन राम मांझी को कहा भी गया था कि वह विधानमंडल दल की बैठक में आएं, उन्हें नहीं हटाया जायेगा, लेकिन उन्होंने कहा कि मैं विधानसभा भंग कर दूंगा, तो मेरी दुविधा खत्म हो गयी. पार्टी ने मुङो नेता चुना है और मैंने मन से स्वीकार किया है और फ्रंट से लीड करेंगे. जो भी चुनौती होगी, उसका सामना करेंगे और बिहार का नाम बदनाम नहीं होने देंगे. बीच में कहा गया कि मेरी मति मारी गयी थी. फिर हम सरकार व पार्टी को डूबने नहीं दे सकते थे. अब मैं ऐसी गलती नहीं करूंगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकसभा चुनाव के समय नरेंद्र मोदी ने कई वादे किये थे. कहा था कि काला धन लायेंगे. हर गरीब के खाते में 15-20 लाख रुपये मुफ्त में आयेगा. वेतनभोगी सरकारी कर्मियों को काले धन में से 5-10 फीसदी राशि दी जायेगी. लेकिन, अब कह रहे हैं कि कितनी राशि है, मुङो पता ही नहीं. जब पता ही नहीं था, तो क्यों घोषणा कर दी थी? क्या के वादे सिर्फ चुनावी जुमला थे और यह सिर्फ भाषण का तरीका था? वादों को जिस प्रकार भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जुमला कह रहे हैं, उससे जनता अब उनसे झांसे में आनेवाली नहीं है. नीतीश ने काला धन लाने संबंधी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत तत्कालीन भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह, बाबा रामदेव और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का ऑडियो टेप भी सुनाया.
15 हजार कम राशि
नीतीश कुमार ने कहा कि जम्मू -कश्मीर में प्रधानमंत्री ने कहा था कि बाप-बेटी की सरकार को छोड़ो, लेकिन वहां उनके साथ गंठबंधन कर सरकार बना ली. भाजपा की कथनी व करनी में फर्क है. बिहार में भी इसी तरह की बातें की जायेंगी, लेकिन लोगों को उनके झांसे में नहीं आना है. वे कहेंगे कि बिहार को बहुत राशि दे दी है, लेकिन कितनी ज्यादा दे दी कि पिछले वित्तीय वर्ष के तुलना में 15 हजार करोड़ रुपये कम हो गया.
भाजपा कहे उलटा-पुलटा, तो उन्हें काले धन का टेप सुनाएं
सीएम ने कहा कि विधानसभा चुनाव में भाजपा के लोग उलटी-पुलटी बात कहेंगे और मेरे मुंह में डालने की कोशिश करेंगे. जब वे अंड-बंड कहें, तो उन्हें ऑडियो टेप सुनाएं. उनका आगे भी यह प्रयत्न जारी रहेगा. तरह-तरह की अफवाह फैलायी जायेगी. सद्भाव तोड़ने की कोशिश होगी. उससे लड़ना है और जान की बाजी लगा कर सद्भाव बिगड़ने नहीं देना है. गांव में कनफूकवा जायेगा. लव जिहाद, धर्म परिवर्तन, ज्यादा बच्चे पैदा करने की बात होगी, उनसे सचेत रहें. बिहार में धुव्रीकरण की भी कोशिश होगी. हिंदू-मुसलिम की बात होगी. अब लड़ाई हिंदू-मुसलिम की नहीं है, बल्कि कट्टरपंथी हंिदूू और उदारवादी हिंदू के बीच लड़ाई है. कट्टरपंथ से देश टूटता है, जबकि उदारवादी पंथ से देश आगे बढ़ता है. युवा इसी उदारवादी पंथ के झंडे को आगे बढ़ाएं. अब फैसला जनता को करना है.
ये रहे मौजूद : सम्मेलन में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव, प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, मंत्री विजय नारायण चौधरी, श्याम रजक, रामधनी सिंह, विजेंद्र यादव, रामलखन राम रमण, ललन सिंह, रमई राम, श्रवण कुमार, मनोज कुमार सिंह, दामोदर राउत, नरेंद्र नारायण यादव, अवधेश प्रसाद कुशवाहा, जय कुमार सिंह, जावेद इकबाल अंसारी, लेसी सिंह, बीमा भारती, रंजू गीता, नौशाद आलम, पीके शाही, बैजनाथ सहनी, सांसद अली अनवर, गुलाम रसूल बलियावी, कहकशां परवीन, रामनाथ ठाकुर, जदयू के प्रवक्ता सह विधान पार्षद संजय कुमार सिंह, नीरज कुमार, राजीव रंजन प्रसाद, निहोरा प्रसाद यादव, संजय गांधी, रणवीर नंदन, विनोद सिंह समेत विधायक-विधान पार्षद व नेता मंच पर मौजूद थे.
गलती के लिए मुङो क्षमा करें
मुख्यमंत्री ने लोकसभा चुनाव का रिजल्ट आने के बाद अपना इस्तीफा देने के लिए सार्वजनिक मंच से पूरे बिहार से माफी मांगी.कहा कि मुझसे गलती हुई. अब मैं ऐसी गलती नहीं करूंगा. आपसे (कार्यकर्ताओं से) और बिहार के लोगों से क्षमा मांगता हूं. साथ ही आग्रह है कि मेरी इस भावना को जन-जन तक पहुंचा दिया जाये. अब हम आ गये हैं. घबराने की जरूरत नहीं है.
.आगे मांझी, पीछे नीतीश
गांधी मैदान की पश्चिम एसबीआइ मुख्यालय के सामने लगे तोरणद्वार काफी चर्चा में रहे. यहां पर दो तोरणद्वार लगे थे. आगे के तोरणद्वार पर निवर्तमान सीएम जीतन राम मांझी की लंबी तसवीर थी. इस पर शनिवार को हुए गरीब स्वाभिमान कार्यकर्ता सम्मेलन की जानकारी थी. इसके ठीक चार कदम पर जदयू के राजनीतिक सम्मेलन का तोरणद्वार था, जिस पर सीएम नीतीश कुमार की लंबी तसवीर लगी थी. दोनों तोरणद्वारों पर लगी तसवीरों को देख गुजरनेवाले लोग खूब राजनीतिक चुटकियां ले रहे थे.
धोती सरकी, लगे ठहाके
परिवहन मंत्री रमई राम मंच पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद यादव की बगल में बैठे थे. जैसे ही वह सम्मेलन को संबोधित करने के लिए अपनी कुरसी से उठे, उनकी धोती सरक गयी. इसका पता रमई राम को भी नहीं चला. अचानक उस पर शरद यादव की नजर गयी. उन्होंने हाथ से इशारा कर कुछ चुटकी ली. इस पर उनके आसपास बैठे सभी मंत्री और विधायक हंस पड़े. रमई भी मुस्कराते हुए अपनी धोती ठीक की और फिर कुरसी पर बैठे. इसको लेकर काफी देर तक इसके लेकर हंसी- मजाक चलता रहा.
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