* वित्त विभाग में नहीं बचे लेखा पदाधिकारी
पटना : सूबे में ब्लॉक से लेकर सचिवालय तक सरकारी राशि का हिसाब–किताब रखनेवाले अधिकारियों का संकट हो गया है. लेखा कैडर के बेसिक ग्रेड के 70 अधिकारियों का वरीय लेखा पदाधिकारी के पद पर प्रोमोशन हो जाने के कारण ऐसी स्थिति हुई है.
इस संवर्ग के लिए 400 पद सृजित हैं. हिसाब–किताब दुरुस्त नहीं रहने को लेकर सीएजी लगातार आपत्ति उठा रहा है. सबसे ज्यादा परेशानी विकास योजनाओं यथा मनरेगा, इंदिरा आवास, सामाजिक सुरक्षा व भविष्य निधि कार्यालयों में सरकारी कर्मियों के भविष्य निधि खाते का हिसाब–किताब दुरुस्त रखने में हो रही है.
* कोर्ट में लटका है मामला
सरकार ने लेखा सेवा संवर्ग में 100 अधिकारियों की नियुक्ति के लिए बिहार लोक सेवा आयोग से अनुशंसा की थी. परीक्षा भी हो गयी, लेकिन परीक्षाफल को लेकर मामला हाइकोर्ट में चले जाने के कारण मामला अधर में लटका हुआ है. वैकल्पिक व्यवस्था के तहत एजी के रिटायर्ड अधिकारियों की सेवा कांट्रेक्ट पर लेने का निर्णय लिया गया था, लेकिन योग्य अधिकारियों ने कांट्रेक्ट पर आने में रुचि नहीं दिखायी. परिणाम यह हुआ कि संविदा पर भी नियुक्ति नहीं हो पायी.
* वित्तीय नियंत्रण नहीं हो पाता
वर्तमान में यह स्थिति यह है कि लेखा अधिकारियों के नहीं आने के चलते सरकार को समय पर खर्च की गयी राशि का हिसाब–किताब नहीं हो पाता है और न ही कोषागारों में प्रभावी तरीके से वित्तीय नियंत्रण नहीं हो पता है. इसी का नतीजा यह है कि सीएजी अपने अंकेक्षण प्रतिवेदन में वित्तीय नियंत्रण की कमी को प्रमुखता से उठाता है. निर्णय लागू नहीं हो पाया.
अब सरकार ने निर्णय लिया है कि जिन अधिकारियों को प्रोमोशन दिया गया है, उनसे लेखा का कार्य लिया जाये. यह व्यवस्था तब तक लागू रहेगी, जब तक नये अधिकारियों की नियुक्ति नहीं हो जायेगी.
* वरीय लेखा पदाधिकारी होंगे पदस्थापित
वित्त विभाग के प्रधान सचिव रामेश्वर सिंह का कहना है कि अब सरकार ने फैसला लिया है कि गैर जिला एवं गैर सचिवालय स्तरीय कोषागारों में तथा भविष्य निधि कार्यालयों में लेखा पदाधिकारी के पद पर आवश्यकता के अनुसार वरीय लेखा कोटि के पदाधिकारियों को पदस्थापित किया जा सकता है. यह भी कामचलाऊ व्यवस्था ही है. जब तक सृजित पद के अनुरूप नियुक्ति नहीं हो जाती है, समस्या का समाधान नहीं होगा.