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भाषा में बोध एवं चिंतन ही मातृभाषा है

पटनामातृभाषा दिवस के अवसर पर नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी (एनओयू) में ‘मातृभाषा की दिशा एवं दशा’ विषय शनिवार को व्याख्यान हुआ. व्याख्यान के मुख्य वक्ता हिंदी के विद्घान प्रो शोभा कांत मिश्र ने कहा पूर्व में मानव अपनी अभिव्यक्ति को इशारे में व्यक्त कर करता था, जो कालांतर में भाषा के रूप में विकसित हुआ. उन्होंने […]

पटनामातृभाषा दिवस के अवसर पर नालंदा ओपेन यूनिवर्सिटी (एनओयू) में ‘मातृभाषा की दिशा एवं दशा’ विषय शनिवार को व्याख्यान हुआ. व्याख्यान के मुख्य वक्ता हिंदी के विद्घान प्रो शोभा कांत मिश्र ने कहा पूर्व में मानव अपनी अभिव्यक्ति को इशारे में व्यक्त कर करता था, जो कालांतर में भाषा के रूप में विकसित हुआ. उन्होंने कहा कि भाषा का जन्म प्रथम मनुष्य की उपस्थिति के दिन ही हो गया था. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि मनु आदि मानव थे, जिनका जन्म ज्ञान-विवके के साथ हुआ. वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर यह सिद्घ हुआ कि मनुष्य के मस्तिष्क में वाक्य केंद्र स्थापित है, जहां भाषा का भंडारण होता है. मनुष्य में स्फूर्त ध्वनियों से ही शब्द का निर्माण होता है, जो धीरे धीरे वाक्य में परिणत होता है, अर्थात मनुष्य के मन का बोध भाषाओं में व्यक्त होता है. भाषा तर्क पर आधारित नहीं होती है. भाषा के अंतर्गत ही सामाजिक रीतियों का जन्म होता है. भाषा व्यवहार से ही, भाषा सीखनी चाहिए. भाषा में बोध एवं चिंतन ही मातृभाषा है. विशिष्ठ अतिथि एनओयू के पूर्व समन्वयक डॉ आरपी सिंह राही ने भी मातृभाषा के आयामों को विस्तृत रूप में बताया. अतिथियों का स्वागत एनओयू के कुलसचिव डॉ एसपी सिन्हा व धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त कुलसचिव एएन पांडेय ने किया.

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