वित्त सचिव एचआर श्रीनिवास ने सभी जिलों के वरीय उपसमाहर्ता (बैंकिंग) व जिला अग्रणी प्रबंधक (एसडीएम) की खास बैठक में निर्देश दिये. उन्होंने कहा, सभी बैंक चाहे, तो इस काम के लिए बैंकिंग क्रॉसपोंडेंस एजेंट (बीसीए) या बैंकिंग मित्र की मदद ले सकते हैं. इसके लिए सभी बीसीए को सरकार भत्ता देने पर विचार कर रही है. शनिवार को होनेवाली राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी (एसएलबीसी) की बैठक में इस पर खासतौर से चर्चा होने की संभावना है.
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एक अप्रैल से सीधे खाते में जायेगा पैसा
पटना: राज्य सरकार वैसी जनकल्याणकारी योजनाएं, जिनमें अनुदान या रुपये दिये जाते हैं, उनमें ऑनलाइन रुपये ट्रांसफर करने की तैयारी कर रही है. यानी योजनाओं के रुपये संबंधित लाभुकों के बैंक खाते में सीधे भेजे जायेंगे. इसके लिए सभी बैंकों को 28 फरवरी तक लाभुकों का योजनावार डाटाबेस तैयार करने को कहा गया है. वित्त […]
पटना: राज्य सरकार वैसी जनकल्याणकारी योजनाएं, जिनमें अनुदान या रुपये दिये जाते हैं, उनमें ऑनलाइन रुपये ट्रांसफर करने की तैयारी कर रही है. यानी योजनाओं के रुपये संबंधित लाभुकों के बैंक खाते में सीधे भेजे जायेंगे. इसके लिए सभी बैंकों को 28 फरवरी तक लाभुकों का योजनावार डाटाबेस तैयार करने को कहा गया है.
इस तरह तैयार करें डाटाबेस : सभी बैंकों को सरकार योजनावार लाभुकों की संख्या,नाम व पता समेत तमाम विवरण मुहैया करा देगी. इस आधार पर प्रत्येक लाभुक का बैंक खाता संख्या, हाउस होल्ड संख्या, आधार कार्ड (जिनके पास है) समेत तमाम विवरणों के आधार पर एक डाटाबेस तैयार करना है. अगर यह डाटाबेस समय पर तैयार हो गया, तो एक अप्रैल से सभी लाभुकों के खाते में पैसे ट्रांसफर होने लगेंगे.
प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत राज्य में 89 लाख खाते खुल चुके हैं. सरकारी योजना का लाभ दिलाने के लिए राज्य सरकार इन खातों का इस्तेमाल करना चाहती है. इससे योजनाओं में पारदर्शिता बढ़ेगी और लाभुकों को सीधे लाभ मिलेगा. एक कारण यह भी है कि अगर कुछ समय तक खातों का उपयोग नहीं किये गये, तो ये ‘डेड’ हो जायेंगे. बैंकों का ट्रांजेक्शन भी बढ़ेगा.
ये योजनाएं जुड़ेंगी : डाटाबेस तैयार होने से साइकिल-पोशाक योजना, छात्रवृत्ति, मेधावृत्ति, परिवार कल्याण से जुड़ी योजना, अनाज योजना के अलावा विधवा, विकलांग पेंशन समेत अन्य प्रमुख योजनाओं के रुपये सीधे बैंक एकाउंट में ही भेजे जायेंगे. राज्य सरकार माध्यमिक स्तर पर सिर्फ छात्रवृत्ति बांटने में 900 करोड़ खर्च करती है. इसकेअलावा शिक्षा विभाग की अन्य योजनाओं के तहत करीब तीन हजार करोड़ रुपये बांटे जाते हैं.
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