पटना: झारखंड के नेतरहाट के तर्ज पर बिहार में स्थापित सिमुलतला आवासीय विद्यालय पांच साल में ही दम तोड़ने की स्थिति में पहुंच गया है. अपना भवन नहीं होने के कारण स्कूल किराये के मकान में चल रहा है. एक साल से नामांकन बंद है और सुविधाओं के अभाव से आजिज 15 विद्यार्थी अब तक स्कूल छोड़ चुके हैं.
अंगरेजी माध्यमवाले इस स्कूल में किताबें हिंदी में उपलब्ध करायी जाती हैं. स्कूल में छठी क्लास में हर साल 120 विद्यार्थियों (60 छात्र व 60 छात्राएं) के नामांकन का प्रावधान है. 2015 का सत्र समाप्त होनेवाला है, लेकिन सत्र 2013-14 के लिए नामांकन की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पायी है.
2014-15 में एक भी छात्र का नामांकन नहीं हुआ है. विद्यालय में वर्तमान में 447 बच्चे पढ़ रहे हैं. उनमें 227 छात्र और 220 छात्रएं हैं. कुल 18 शिक्षक हैं. वर्तमान स्थिति को देखते हुए इस स्कूल में वर्ष 2019 और 2020 में इस स्कूल से कोई विद्यार्थी मैट्रिक की परीक्षा में नहीं बैठेगा.
किराये के मकान में स्कूल
2010 में स्थापना से लेकर अभी तक करीब 26 लाख रुपये खर्च किये जा चुके हैं, लेकिन विद्यालय का अपना भवन नहीं बन पाया. आज भी यह विद्यालय किराये के आठ भवनों में चल रहा है. इन्हीं भवनों में छात्र-छात्रओं की पढ़ाई के साथ-साथ रहने की भी व्यवस्था है. संसाधनों की कमी को देखते हुए अब छात्र इस स्कूल को छोड़ कर जाने लगे हैं. अभी तक 15 विद्यार्थियों ने स्कूल छोड़ दिया है. ये सभी 2010, 2011 और 2012 सत्र के हैं.
परीक्षा लेनेवाली संस्था बदलती रही
सिमुलतला आवासीय विद्यालय को पहले सीबीएसइ पैटर्न पर रखा गया. लेकिन, मान्यता नहीं मिलने के बाद इसे बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के इंगलिश मीडियम स्कूल के तौर पर शुरू किया गया. लेकिन इंगलिश की किताबें नहीं होने के कारण हिंदी में पढ़ाई होती है. अंगरेजी किताबें बीएसटीबीसी द्वारा आज तक उपलब्ध नहीं करायी गयी हैं. 2011 में इस विद्यालय में परीक्षा शिक्षा विभाग द्वारा ली गयी. 2012 में सिमुलतला विद्यालय प्रशासन की ओर से ही परीक्षा ली गयी. इसके बाद 2013 में चाणक्या विधि संस्था ने परीक्षा ली. 2014 से अब तक बिहार विद्यालय परीक्षा समिति की ओर से विद्यालय में परीक्षा आयोजित की जाती है. पहली बार बिहार बोर्ड की मैट्रिक परीक्षा में सिमुलतला विद्यालय के छात्र भी शामिल होंगे.
सिमुलतला आवासीय विद्यालय की प्रबंधन समिति ने कहा कि विद्यालय में न तो शैक्षणिक स्तर और न ही विकास के स्तर पर कुछ हो पा रहा है. न तो बुक मिलता है और न ही किसी तरह की सुविधा है. 2013 में जो नामांकन प्रक्रि या हुई, उसमें अभी तक 12 छात्रों का नामांकन नहीं हो पाया है. विद्यालय प्रशासन को समय से आवंटन होता है, लेकिन छात्रों को सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं.
आमने
प्रावधान : नवंबर से मार्च तक नामांकन प्रक्रिया
नामांकन प्रक्रिया नवंबर में शुरू करने का प्रावधान है. नवंबर में सूचना प्रसारित कर दिसंबर में फॉर्म भरवाया जाना है. जनवरी में प्रथम चरण की परीक्षा व रिजल्ट और सफल छात्रों के लिए फरवरी के अंतिम सप्ताह में द्वितीय परीक्षा ली जाती है. मार्च में सफल छात्रों का मेडिकल कराया जाना है. नामांकन के लिए पहले रजिस्ट्रेशन होता है.
सामने
हकीकत : हर साल देर से शुरू होती है पढ़ाई
सिमुलतला आवासीय विद्यालय का सेशन शुरू से ही लेट चल रहा है. नामांकन प्रक्रिया अप्रैल में पूरी होने के बावजूद हर साल सेशन दो से तीन महीने देरी से शुरू हुआ है. स्थापना के समय उद्घाटन में देरी होने के कारण अप्रैल के बजाय नौ अगस्त, 2010 को इसका सत्र शुरू किया गया. इसके अगले साल 2011 सत्र के लिए एकेडमिक सेशन 23 मई, 2011 को शुरू हो पाया. 2012 में 120 छात्रों ने नामांकन लिया. लेकिन, इसके एकेडमिक सेशन शुरू होने में दिसंबर आ गया. 23 दिसंबर, 2012 को सत्र की शुरुआत हो पायी.
हमने नामांकन के लिए विभाग के पास भेज दिया है. पिछले साल नामांकन नहीं हुआ. आवासीय होने के कारण हमारे पास बच्चों के लिए हॉस्टल नहीं है. अभी 450 बच्चों को रखा जाता है. लेकिन, इसके बाद के बच्चे को रखने के लिए हमारे पास संसाधन की कमी है.
राजीव रंजन, प्रिंसिपल, सिमुलतला विद्यालय
विद्यालय को जिस उद्देश्य से खोला गया था, वह पूरा नहीं किया जा सका है. विद्यालय में शैक्षिक प्रबंधन की उदासीनता है.
प्रो, शंकर प्रसाद, पूर्व प्राचार्य, सिमुलतला आवासीय विद्यालय