स्वामी विवेकानंद जयंती पर विद्यापति भवन में राष्ट्रीय सेवा मिशन की तरफ से आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि हिंदू में कट्टरपंथी व उदारवादी दो तरह की विचारधाराएं हैं. इतिहास गवाह रहा है कि जब-जब कट्टरपंथी विचारधारा का प्रभाव बढ़ा है, तब-तब देश टुकड़ों में बंटा है. देश को एक सूत्र में जोड़ कर रखने के लिए उदारवाद बेहद जरूरी है.
हिंदू के नाम पर समाज में विवाद, झगड़ा और उन्माद पैदा करना बेहद गलत प्रवृत्ति है. यह समाज को विषाक्त करने की कोशिश है. उन्होंने समाज खासकर युवाओं को इससे सतर्क रहने की सलाह देते हुए कहा कि धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण और गोलबंदी से बचना चाहिए. उन्होंने कहा कि इनसान की सेवा करना ही सच्ची साधना है और इसी से मुक्ति मिलेगी. धर्म अध्यात्म का समन्वय विज्ञान से करके इसके प्रति वैज्ञानिक सोच विकसित करने की जरूरत है. आज युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा. इससे उत्पादकता में उनका योगदान नहीं हो रहा.
आज दौलत कितने हाथ में सिमटी हुई है, इस पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि आज के माहौल से सचेत रहें. कुछ लोग असत्य के आधार पर सब्जबाग दिखा कर काबिज हो गये हैं. जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि धर्म के नाम पर फैल रहा अंधविश्वास कैसे खत्म हो, यह सोचने की जरूरत है. जल संसाधन मंत्री विजय चौधरी ने कहा कि विवेकानंद के विचार के आधार पर युवाओं को परिवर्तन करने के लिए सोचना चाहिए. वे धर्म को विज्ञान समझते थे. सभी धर्म का मूल मानव सेवा ही है.