पटना: बेतिया का एचआइवी पीड़ित चार माह से किडनी में बने स्टोन को निकलवाने के लिए दर्द से परेशान है, लेकिन पीएमसीएच के डॉक्टर उसका ऑपरेशन करने से इनकार कर रहे हैं. ऐसे में इस मरीज ने कई बार पीएमसीएच प्रशासन से मिल कर अपनी बात कहीं, लेकिन कुछ नहीं हो पाया.
वह आज भी दर्द की चपेट में हैं. जानकारी के मुताबिक पहले पीएमसीएच के डॉक्टरों ने उसका इलाज सामान्य तरीके से शुरू किया, लेकिन जैसे ही डॉक्टर को मालूम चला कि मरीज एचआइवी पॉजिटिव है.
उसे घर जाने को कह दिया, तीनों दिनों तक परिसर में चक्कर लगाने के बाद भी जब उसे भरती नहीं लिया गया, तो उसने बिहार नेटवर्क फोर पीपुल लिविंग विथ एचआइवी एड्स सोसाइटी से संपर्क साधा. इसके बाद भी उसका ऑपरेशन आज तक नहीं हो पाया है. दूसरी ओर पीएमसीएच में एचआइवी मरीजों का होने वाला बेस लाइन ट्रीटमेंट बंद है.
डॉक्टर ऐसे कर सकते हैं बचाव
नेशनल प्री-कॉशन के तहत हाथ, चेहरा व शरीर को ढंक कर रखे.
एचआइवी मरीज का वायरल लोड देख ले, अगर ब्लड में वायरस की संख्या कम रहती है तो सामने वाले को संक्रमण होने की संभावना शून्य हो जाती है.
एचआइवी संक्रमण मरीजों को सूई लगाते समय किसी तरह से सूई चुभ जाये, तो चुभने के उपरांत 1000 में तीन लोगों को संक्रमण होने की संभावना रहती है
सूई चुभने के 72 घंटे के अंदर दवा का सेवन किया जाये, तो 80 प्रतिशत कम हो जाती है संक्रमण की संभावना
ऑपरेशन के पहले प्री एक्सपोजर प्रोफेलेक्सी की दवा खाने से संक्रमण की संभावना और कम हो जाती है.
लगभग चार माह से बेतिया का एक एचआइवी पॉजिटिव मरीज इलाज के लिए भटक रहा है. बावजूद इसके उसका इलाज अभी तक नहीं हो पाया है.
-ज्ञान रंजन, बिहार नेटवर्क फोर
पीपुल लिविंग विथ एचआइवी एड्स
सोसाइटी के अध्यक्ष
एचआइवी मरीजों का इलाज परिसर में होता है. ऐसे मरीजों के लिए अलग से ओटी भी बनाया गया है. हमारे पास अभी तक ऐसा केस नहीं आया हैं, लेकिन ऐसी कोई बात है, तो उसे आकर मिलना चाहिए.
डॉ सुधांशु सिंह, पीएमसीएच उपाधीक्षक