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कोर्ट ने नगर निगम से मांगा पांच साल का ‘काला चिट्ठा’

पटना: निगरानी ब्यूरो के विशेष कोर्ट ने निगरानी के एसपी को पटना नगर निगम में वर्ष 2010 तक अब तक हुई वित्तीय अनियमितता की जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह निर्देश वार्ड पार्षद सह स्थायी समिति की सदस्य आभा लता की याचिका पर संज्ञान लेते हुए दिया. क्या है मामला […]

पटना: निगरानी ब्यूरो के विशेष कोर्ट ने निगरानी के एसपी को पटना नगर निगम में वर्ष 2010 तक अब तक हुई वित्तीय अनियमितता की जांच कर रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है. कोर्ट ने यह निर्देश वार्ड पार्षद सह स्थायी समिति की सदस्य आभा लता की याचिका पर संज्ञान लेते हुए दिया.

क्या है मामला

वर्ष 2014 की जनवरी-फरवरी में निगम मुख्यालय से लेकर अंचल कार्यालयों तक का ऑडिट कराया गया था, जिसमें कई वित्तीय अनियमितताओं का खुलासा हुआ था. ऑडिट होने से पहले से ही नगर आयुक्त व मेयर ने निगरानी ब्यूरो से जांच कराने के लिए नगर विकास विभाग को पत्र भेजा था. लेकिन, जांच नहीं हुई.

ऑडिट में अंकेक्षण दल ने कई सवाल उठाये थे. मसलन, दो ट्रैक्टर एक ही समय में बांकीपुर और नूतन राजधानी अंचलों में कैसे चलाये गये, दोनों अंचलों से डीजल की राशि कैसे आवंटित की गयी, वार्डो में 30-30 बल्ब लगाये गये, लेकिन कहां लगे इसकी कोई सूची निगम मुख्यालय में उपलब्ध नहीं पायी गयी. विज्ञापन शुल्क व मोबाइल टावर के निबंधन नहीं होने से राजस्व की क्षति हो रही है. इससे निगम को करोड़ों का नुकसान हुआ है. शुल्क क्यों नहीं वसूल किया गया.

पहले में भी पड़ा है छापा

24 फरवरी, 2010 को भी निगरानी ब्यूरो का छापा निगम मुख्यालय में पड़ा था, जिसमें तत्कालीन नगर आयुक्त के सेंथिल कुमार सहित 14 निगम अधिकारियों व कर्मचारियों पर प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. उस समय भी विज्ञापन, एटूजेड को कार्य आवंटन, बैक डेट में अपार्टमेंट के नक्शे की स्वीकृति, कई होटलों से समय से होल्डिंग टैक्स नहीं लेना आदि में वित्तीय अनियमितता पायी गयी थी.

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