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मुहब्बत से बढ़ कर इबादत नहीं, लगाकर दिल आजमा लीजिए

भारतीय युवा साहित्यकार परिषद ने किया गीत-गजल संध्या का आयोजनपटना. नये वर्ष के आगमन पर भारतीय युवा साहित्कार परिषद के तत्वावधान में ‘साहित्य उत्सव’ के तहत गीत-गजल संध्या का आयोजन हुआ. राजेंद्र नगर स्थित रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी पुस्तकालय के कक्ष में संपन्न इस कार्यक्रम में गीत-गजल की महफिल सजी हुई थी और वाहवाही हो रही […]

भारतीय युवा साहित्यकार परिषद ने किया गीत-गजल संध्या का आयोजनपटना. नये वर्ष के आगमन पर भारतीय युवा साहित्कार परिषद के तत्वावधान में ‘साहित्य उत्सव’ के तहत गीत-गजल संध्या का आयोजन हुआ. राजेंद्र नगर स्थित रामवृक्ष बेनीपुरी हिंदी पुस्तकालय के कक्ष में संपन्न इस कार्यक्रम में गीत-गजल की महफिल सजी हुई थी और वाहवाही हो रही थी. आरपी घायल की गजल ‘अजी हमसे दिल का पता लीजिए, प्यार का आप भी घर बसा लीजिए, मुहब्बत सेे बढ़ कर इबादत नहीं, लगा कर दिल आजमा लीजिए’ और युवा कवि सागर आनंद की गजल ‘कौन जाने कि जल उठेगा तेरा घर पहले, घरों में आग लगाने की बात मत कहिए, आदमी-आदमी को बांटें, चलो ये चलता है, खुदा की जात बताने की बात मत कहिए’ ने महफिल में चार चांद लगा दिया. रमेश कंवल की गजल ‘जुल्फ गालों पर बिखेरने को गजल कहते हैं, यार के सजने संवरने को गजल कहते हैं…’ ने कार्यक्रम को परवान तक पहुंचाया. इसके अलावा अवधेश अमन ने अपनी कविता ‘फटी कमीज में न जाने कितने पैबंद लग गये’और राजेंद्र सुधाकर ने ‘हमीं को मारने को हमसे हथियार मांगते हैं’ कविता सुनायी. इसके अलावा श्रीकांत व्यास, प्रभात कुमार धवन, पूनम पांडेय, गहवर गोवर्द्धन, पंकज प्रियम और नीता सिन्हा की कविताओं ने इस साहित्य उत्सव को यादगार बना दिया.कार्यक्रम की शुरुआत में अपने अध्यक्षीय संबोधन में चर्चित गीतकार-कथाकार भगवती प्रसाद द्विवेदी ने कहा कि अभिव्यक्ति के सारे माध्यम समाप्त हो जाते हैं, तब गीत का आरंभ होता है. रचना विरोधी माहौल में गीत गजलों को बचाये रखना जरूरी है. कथाकार सिद्धेश्वर ने कहा कि कविता को पाठकों तक पहुंचाने के लिए गद्यात्मकता या सपाटबयानी से बचना चाहिए.

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