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दूसरे दिन भी मिथिला के दर्शन हुए

लाइफ रिपोर्टर@पटनापटना यूथ हॉस्टल के परिसर में शुक्रवार से शुरू हुए मिथिला साहित्य समारोह के दूसरे दिन भी मिथिला के आगंतुकों का जमावड़ा रहा. परिसर में एक तरफ आम के पेड़ के नीचे लगे बुक स्टॉल, पकवान के स्टॉल और मिथिला की जान मिथिला पेंटिग्स के दुकान, तो दूसरी तरफ हॉस्टल के फ्लोर पर मिथिला […]

लाइफ रिपोर्टर@पटनापटना यूथ हॉस्टल के परिसर में शुक्रवार से शुरू हुए मिथिला साहित्य समारोह के दूसरे दिन भी मिथिला के आगंतुकों का जमावड़ा रहा. परिसर में एक तरफ आम के पेड़ के नीचे लगे बुक स्टॉल, पकवान के स्टॉल और मिथिला की जान मिथिला पेंटिग्स के दुकान, तो दूसरी तरफ हॉस्टल के फ्लोर पर मिथिला भाषा के लेखक और ज्ञानी जनों द्वारा चल रहा परिसंवाद. ये सब अपने आप में मिथिला का माहौल बना रहे थे. इसके साथ ही दूसरे दिन मिथिला संस्कृति को दरसाता पमरिया नाच की प्रस्तुति से सबका मन मिथिला की गलियों में जाने को हो गया. सुबह से शाम तक परिसर में मिथिला की चर्चा, उसके रूप और अंश से लोग रू-ब-रू होते रहे. कार्यक्रम में कई सत्रों में कार्यक्रम हुए. पहले सत्र के दौरान धिया-पूता सत्र में बाल साहित्य पर चर्चा हुई. इस सत्र में लेखक डॉ नारायणजी और लेखक प्रवीण भारद्वाज मौजूद थे. सत्र का संचालन ऋषि वशिष्ठ ने किया. सत्र में चर्चा हुई कि जब आज के समय में स्कूलों में मैथिली की पढ़ाई नहीं होती है, तो किस प्रकार बच्चों को मैथिली के बारे में जानकारी दी जाये. डॉ नारायणजी ने कहा कि बच्चों पर ऐसी चीजें लिखनी चाहिए, जो ग्लोबल हो रहे बच्चों को समझ आये. उन्हें वैसी चीजें पढ़ने में रुचि लगे. इसमें बच्चों को सामाजिक ज्ञान भी हो. प्रवीण भारद्वाज ने कहा कि मैथिली को आगे बढ़ाने और बच्चों में ज्ञान लाने के लिए इसे कंप्यूटर पर डिजाइन करना होगा. मैथिली भाषा को चित्र-वगैरह बना कर पढ़ाने पर बच्चों में इसका ज्ञान आयेगा. इस मौके पर इस सत्र के अलावा कई सत्र हुए. साथ ही इजरायल पमरिया एवं संगी लोकनि द्वारा पमरिया नाच की प्रस्तुति हुई.

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