पश्चिम बंगाल में अप्रैल में शारधा ग्रुप द्वारा लाखों निवेशकों के साथ करोडों़ की धोखाधड़ी का मामला सामने आने पर बिहार में भी इन कंपनियों पर नकेल कसने की कार्रवाई शुरू हुई, पर अफसरों को अधिकार की कमी के कारण अंकेक्षण का कार्य आगे नहीं बढ़ पा रहा है, सख्त कार्रवाई नहीं हो पा रही है. अब सरकार ने महाराष्ट्र के तर्ज पर कानून में संशोधन की तैयारी कर ली है.
पटना: नॉन बैंकिंग कंपनियों की जांच पर ग्रहण लग सकता है. इन कंपनियों का राज्य में करोबार करीब 25 सौ करोड़ रुपये का है. कंपनियों के कामकाज पर नजर रखनेवाले अधिकारियों ने सरकार के समक्ष शिकायत की है कि उन्हें इनके परिसर में प्रवेश करने, सामान व कागजात की जब्ती तथा कार्यालय परिसर को सील करने का अधिकार नहीं है.
कार्रवाई के लिए जब अधिकारी जाते हैं, तो कंपनियां सिविल कोर्ट में परेशान करने की शिकायत दर्ज कराती हैं. दो माह पूर्व सहकारिता विभाग को निबंधित सहकारी समितियों का विशेष अंकेक्षण कराने के लिए कहा गया था, लेकिन अब तक एक भी समिति का अंकेक्षण नहीं हुआ. यह खुलासा हाल में वित्त विभाग के प्रधान सचिव रामेश्वर सिंह की अध्यक्षता में हुई उच्चस्तरीय बैठक में हुआ. अधिकारियों के इस खुलासे से सरकार में खलबली मची है.
नहीं हो रहा ऑडिट
सहकारी समितियां जनता को लुभावने प्रलोभन देकर धनराशि जमा करा लेती हैं. समय पूरा होने के बावजूद निवेशक को राशि नहीं लौटायी जा रही. सरकार ने विभाग को सहकारी समितियों का अंकेक्षण कराने व दोषी कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा था, लेकिन अब तक कोई पहल नहीं हुई. सरकार ने इसे गंभीरता से लिया है. अब वित्त विभाग सहकारिता विभाग के प्रधान सचिव को समितियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पत्र लिखेगा.
रिजर्व बैंक का सहयोग जरूरी
विश्वामित्र इंडिया कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड के संबंध में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सरकार को रिपोर्ट दी है कि यह कंपनी उनके यहां से रजिस्टर्ड नहीं है. इसलिए, उनके खिलाफ कार्रवाई करना उसके क्षेत्रधिकार से बाहर है. हालांकि, वित्त विभाग के प्रधान सचिव का कहना था कि यदि कोई कंपनी अनधिकृत रूप से जनता से धनराशि ले रही है, तो ऐसी कंपनी के खिलाफ कार्रवाई करने की जवाबदेही रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को भी है. इसका जवाब आरबीआइ के प्रतिनिधियों ने नहीं दिया. प्रयाग ग्रुप व रोज वैली कंपनी के संबंध में आरबीआइ ने अभी तक सरकार को कोई प्रतिवेदन नहीं दिया है.