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10 जिलों में बढ़ी कीमत के कारण किसी ने नहीं भरा टेंडर, चौथी बार बालू घाटों की बोली

पटना: राज्य में 10 जिलों को छोड़ कर अन्य सभी जिलों में मौजूद बालू घाटों के टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो गयी है. इन जिलों में पिछले वर्ष टेंडर के दौरान बालू घाटों की बोली (बिडिंग) जरूरत से ज्यादा या अनहेल्दी होने के कारण इन बालू घाटों की कीमत अत्यधिक बढ़ गयी थी. घाटों की […]

पटना: राज्य में 10 जिलों को छोड़ कर अन्य सभी जिलों में मौजूद बालू घाटों के टेंडर की प्रक्रिया पूरी हो गयी है. इन जिलों में पिछले वर्ष टेंडर के दौरान बालू घाटों की बोली (बिडिंग) जरूरत से ज्यादा या अनहेल्दी होने के कारण इन बालू घाटों की कीमत अत्यधिक बढ़ गयी थी. घाटों की बंदोबस्ती जरूरत से ज्यादा रेट पर हो गया था.

इस अत्यधिक बढ़ी हुई दर बालू घाटों की बंदोबस्ती लेने के लिए इस वर्ष कोई ठेकेदार तैयार नहीं है. नतीजतन इन जिलों में तीन बार टेंडर की तिथि निकालने के बाद भी इसे लेने के लिए कोई आगे नहीं आया. किसी ने टेंडर डॉक्यूमेंट तक नहीं भरा.

अब खनन एवं भूतत्व विभाग ने सभी संबंधित जिलों के डीएम से अपने-अपने यहां मौजूद बालू घाटों की समीक्षा कर इसकी रिपोर्ट तैयार कर भेजने को कहा है. कुछ जिलों ने रिपोर्ट भेज भी दी है.

इस रिपोर्ट की समीक्षा करने के बाद खनन विभाग बालू घाटों के लिए नयी दर का निर्धारण कर फिर से टेंडर की प्रक्रिया शुरू करने के लिए वित्त विभाग से अनुमति लेगा. नयी निर्धारित दर पर टेंडर करने के लिए वित्त विभाग से अनुमति मिलने के बाद टेंडर की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी.

यह हुई समस्या : औरंगाबाद व रोहतास जिलों को एक यूनिट मान कर बालू घाटों के ठेके की प्रक्रिया होती है. 2014 में इसका ठेका 175 करोड़ रुपये में हुआ था, लेकिन जिस कंपनी ने इसे लिया, कुछ महीने काम करने के बाद छोड़ दिया. फिर 174 करोड़ रुपये की बोली लगानेवाली दूसरे नंबर की कंपनी को इसका काम सौंपा गया, परंतु यह कंपनी काफी नुकसान होने की बात कह रही है. इन दोनों जिलों का ठेका 2013 में 75 करोड़ में ही हुआ था. एक साल में 100 करोड़ की बढ़ोतरी होने के कारण पूरी स्थिति बिगड़ गयी. इसी का नतीजा है कि 2015 के लिए कोई इतनी ज्यादा बढ़ी हुई दर पर टेंडर लेने को तैयार नहीं है. इसी तरह गया, भागलपुर, मुजफ्फरपुर समेत अन्य जिलों की हालत है, जबकि किशनगंज, मोतिहारी, सहरसा जिलों के नदी घाटों में बालू की मात्र काफी कम हो गया है. कुछ घाटों में बालू नहीं के बराबर हैं. इस कारण मौजूदा दर पर यहां टेंडर लेने के लिए कोई तैयार नहीं है. अब विभाग को इन जिलों में बालू की मौजूदगी के आधार पर नयी दर का निर्धारण करना पड़ रहा है.

तो बंद हो जायेगा बालू खनन

अगर टेंडर की प्रक्रिया दिसंबर महीने तक पूरी नहीं हुई, तो जनवरी, 2015 से इन जिलों में बालू खनन बंद हो जायेगा. चूंकि वर्तमान में जिन कंपनियों ने बालू खनन का ठेका ले रखा है, उसकी अवधि जनवरी 2015 में समाप्त हो जायेगी. इससे पहले अगर घाटों की बंदोबस्ती नहीं हुई, तो अवैध खनन की आशंका भी काफी बढ़ जायेगी.

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