अलाव जला कर पशुशाला को रखेें गरम पशु को ताजा पानी एवं चारा देना जरूरी गोपालगंज. ठंड ने दस्तक दे दी है. गिरता तापमान पशुओं व नवजात के लिए जानलेवा हो सकता है. ठंड से पशुओं की आंत में सक्रमण के चलते पेट फूलने, डायरिया (दस्त), कंपन एवं नवजात में निमोनिया जैसे रोगों का प्रकोप होता है. बचाव एवं प्रकोप के बाद अविलंब उपचार आवश्यक है. ये बातें जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ डीके चौधरी ने बतायीं. उन्होंने कहा कि पशु के मल-मूत्र का शरीर से देर तक संपर्कमें रहने से बचाव आवश्यक है. डॉ चौधरी ने अलाव जला कर पशुशाला को गरम रखने की सलाह दी. अलाव से धंुआ न निकलने की चेतावनी भी दी. पशु की आंख में कीचड़ एवं पानी गिरने को ठंड से प्रभावित होने का प्रमुख लक्षण बताया. तापमान कम रहने पर भोर के बजाय देर से पशु को गौशाला से बाहर निकालना चाहिए. पशु को ताजा पानी एवं चारा दिया जाना ही श्रेयस्कर है. हाल ही बच्चा देनेवाले पशु विशेषकर भैंस का समूचा फेनुस कदापि न निकालें. पशु को बच्चा देने के पूर्व ऐसे कमरे में रखंे, जहां तापमान अधिक हो. नवजात को तुरंत साफ कपड़े से पोंछ कर ठंड से बचाएं. पशु यदि गर्भ से हो, तो छठवें माह से ठंड के लिए पशु चिकित्सक की सलाह पर सूई लगवाएं.इनसेट—कुप्रभावित होने पर करें घरेलू उपचारडॉ डीके चौधरी ने बताया कि ठंड से बचाव के लिए 100 ग्राम अजवाइन और गुड़ की गोली बना कर दो गोली प्रतिदिन देने से ठंड का प्रभाव कम होगा. साथ ही अजवाइन और कपूर को अलसी के तेल में मिला कर मालिश करें. यदि पशु ठंड का शिकार हो गया हो, तो आरिप्रिम डीसी का दो बड़ी टिकिया को सुबह शाम दें. ठंड से पशुपालकों को सचेत करते हुए कहा कि पशुओं को खुले में न बांधें, साथ ही टाट-पट्टी से पूरे शरीर को ढंक कर बांध देना चाहिए.
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ठंड में पशुओं का रखें विशेष ध्यान
अलाव जला कर पशुशाला को रखेें गरम पशु को ताजा पानी एवं चारा देना जरूरी गोपालगंज. ठंड ने दस्तक दे दी है. गिरता तापमान पशुओं व नवजात के लिए जानलेवा हो सकता है. ठंड से पशुओं की आंत में सक्रमण के चलते पेट फूलने, डायरिया (दस्त), कंपन एवं नवजात में निमोनिया जैसे रोगों का प्रकोप […]
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