पटना सिटी: कैंसरपीड़ितों का रेडियोथेरापी, केमोथेरापी व सजर्री विधि से उपचार किया जाता है, जो खर्चीला है. साथ ही मरीजों का अंग-भंग भी होता है.ऐसे में जरूरी है कि बीमारी न हो. इस विषय में सोचा जाये. कैंसर मरीजों की तादाद बढ़ी है.
ऐसे में इंदिरा गांधी इंस्टीटय़ूट ऑफ मेडिकल साइंस, पटना को अपग्रेड कर कैंसर अस्पताल के रूप में विकसित किया जायेगा. यह जानकारी टाटा कैंसर मेमोरियल अस्तपाल , मुंबई के कैंसर सजर्न प्रो डॉ पंकज चतुव्रेदी ने दी. पटना में अब मरीजों को विशेषज्ञों की सुविधा मिलेगी. नाक, कान व गले के कैंसर का तीसरा मरीज बिहार व यूपी का होता है. बिहार में हर दूसरा वयस्क महिला व पुरुष तंबाकू का सेवन करते हैं.
आंकड़ों के अनुसार बिहार में दो तिहाई पुरुष व 40 फीसदी महिलाओं में तंबाकू खाने की प्रवृति है. इस तरह वयस्कों की आधी जनसंख्या तंबाकू का इस्तेमाल चबाने के तौर पर, पांच फीसदी सिगरेट के तौर पर व नौ फीसदी बीड़ी के रूप में करती है. यह मानना है टाटा कैंसर मेमोरियल अस्तपाल ,मुंबई के कैंसर सजर्न प्रो डॉ पंकज चतुव्रेदी का. डॉ चतुव्रेदी नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने पटना आये थे. जहां उन्होंने प्रभात खबर से विशेष बातचीत की.
हर तीसरे की असमय मृत्यु
तंबाकू के सेवन से हार्ट अटैक, कैंसर व फेफड़े की बीमारी का प्रकोप बढ़ रहा है. इस कारण इन बीमारियों से पीड़ित हर तीसरे की असमय मृत्यु हो रही है. देश भर में कैंसरपीड़ित मरीजों की तादाद में बिहार का स्थान तीसरा है. उनके अनुसार सव्रेक्षण में पहले स्थान पर गुजरात व दूसरे स्थान पर मध्यप्रदेश हैं. चिकित्सक ने बताया कि खाद्य पदार्थो की कीमतें काफी तेजी से बढ़ी है, लेकिन तंबाकू प्रोडक्ट की कीमतें उस अनुकूल नहीं बढ़ीं.
एसोसिएशन ऑफ आटोलॉजिक विभाग (एआइओ) बिहार-झारखंड द्वारा आयोजित कार्यक्रम में कैंसर की बीमारियों पर चिकित्सकों के बीच चर्चा हुई. वहीं, पूर्व में हुए दस मरीजों के ऑपरेशनों को भी दिखाया गया. साथ ही इन मरीजों को मिले चिकित्सकीय परामर्श व बीमारी की पहचान के कारणों पर चर्चा हुई. कार्यक्रम की अध्यक्षता एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉ आरके पांडे ने की. संचालन आयोजन समिति के सचिव डॉ सत्येंद्र शर्मा ने की. मौके पर इएनटी के विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर, डॉ मनोज कुमार शर्मा, डॉ बृजलाल व डॉ शिव प्रसाद शामिल हुए.
प्रसव में भी होती हैं मुश्किलें
वैज्ञानिक सबूत में पाया गया है कि मुंह, घेघा , गला और ग्रसनी , अग्न्याशय, पेट, गुरदे और फेफड़े की बीमारी तंबाकू चबाने से होती है. यह बात एनएमसीएच में इएनटी के विभागाध्यक्ष डॉ चंद्रशेखर का कहना है. उनके अनुसार गर्भावस्था के दौरान तंबाकू प्रयोग से प्रसव के समय कम वजन के बच्चे का जन्म लेना व समय से पहले प्रसव का खतरा रहता है.