पटना: पावर होल्डिंग कंपनी अगर समय पर आपको सेवा नहीं दे पाती है, तो आप मुआवजा वसूल सकते हैं, क्योंकि छह साल बाद भी कंपनी विद्युत विनियामक आयोग के स्टैंडर्ड ऑफ परफॉरमेंस का पालन नहीं कर सकी है. आयोग ने जनवरी, 2007 में विद्युत वितरण अनुज्ञप्तिधारी के प्रदर्शन हेतु मानक एक्ट लाया था.
इसके तहत विद्युत उपभोक्ताओं को निर्धारित समयसीमा में विभिन्न प्रकार की सेवाएं दी जानी थीं. निर्धारित समय में सेवा नहीं देने पर जुर्माने का भी प्रावधान है. मगर, होल्डिंग कंपनी एसओपी का पालन करना तो दूर उसके आस-पास भी कहीं नहीं दिख रही. बिजली कनेक्शन देने से लेकर ट्रांसफॉर्मर बदलने और बिजली आपूर्ति में मानक समय से काफी अधिक समय लग जाता है.
अगस्त, 2012 में लागू का हुआ प्रयास : बिहार स्टेट होल्डिंग कंपनी (तत्कालीन विद्युत बोर्ड) ने पेसू क्षेत्र में स्टैंडर्ड ऑफ परफॉरमेंस का पालन सुनिश्चित करने हेतु प्रीमियम शुल्क लेने का प्रयास किया. मगर पेसू की कार्यप्रणाली और उपभोक्ताओं के विरोध की वजह से यह योजना ठंडे बस्ते में चली गयी. स्टैंडर्ड ऑफ परफॉरमेंस के तहत निर्धारित समय पर सेवा नहीं मिलने की स्थिति में उपभोक्ता बिहार विद्युत विनियामक आयोग के पास अपील कर सकते हैं.
अपील में उनके पक्ष में निर्णय आने की स्थिति में होल्डिंग कंपनी को जुर्माने का भुगतान करना पड़ेगा. अभी हाल ही में आयोग ने ऐसे एक मामले में समय पर कनेक्शन नहीं देने की स्थिति में एक आवेदक को एक लाख रुपये का भुगतान का आदेश दिया. इसमें आवेदन की तिथि से लेकर कनेक्शन मिलने तक की तिथि के बीच प्रतिदिन 50 रुपये के हिसाब से राशि जोड़ी गयी.