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महंगी पड़ी बिना वारंट गिरफ्तारी

पटना :आपराधिक मामले में एक आरोपित के गिरफ्तारी वारंट को कोर्ट द्वारा निरस्त किये जाने के बाद भी मधुबनी जिले के रुद्रपुर थानाध्यक्ष द्वारा उसे गिरफ्तार करना महंगा पड़ा. राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष बिलाल नाजकी ने रुद्रपुर थानाध्यक्ष को इस मामले में अपनी जेब से याचिकाकर्ता कातिम लाल यादव को दस हजार रुपये का […]

पटना :आपराधिक मामले में एक आरोपित के गिरफ्तारी वारंट को कोर्ट द्वारा निरस्त किये जाने के बाद भी मधुबनी जिले के रुद्रपुर थानाध्यक्ष द्वारा उसे गिरफ्तार करना महंगा पड़ा. राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष बिलाल नाजकी ने रुद्रपुर थानाध्यक्ष को इस मामले में अपनी जेब से याचिकाकर्ता कातिम लाल यादव को दस हजार रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है.
मुआवजे की रकम थानाध्यक्ष सीधे याचिकाकर्ता के बैंक खाते में जमा करा सकते हैं और उसकी रसीद आयोग के समक्ष पेश करना होगा. इसके लिए आयोग ने थानेदार को एक माह का समय दिया है. आयोग में कातिम लाल यादव ने मामला दर्ज कराया था. मामले में कहा गया था कि गिरफ्तारी वारंट को सक्षम न्यायालय द्वारा रद्द किये जाने के बावजूद थानाध्यक्ष रवींद्र प्रसाद ने उसे गिरफ्तार कर लिया था.
इस मामले में जब आयोग ने उक्त थानेदार को नोटिस जारी कर अपना पक्ष रखने को कहा तो थानेदार ने बताया कि कातिम लाल यादव के बेटे के खिलाफ भी न्यायालय ने एक अन्य आपराधिक मामले में गिरफ्तारी वारंट जारी किया था. जब पुलिस ने उसके घर पर दबिश दी, तो कातिम का बेटा वहां मौजूद नहीं था. ऐसे में पुलिस ने कातिम लाल यादव को इसलिए गिरफ्तार कर लिया ताकि उसके बेटे को सरेंडर करने को बाध्य किया जाये.
इधर,कातिम लाल का कहना था कि उसकी गिरफ्तारी के लिए न्यायालय ने 22 जुलाई, 2013 तक वारंट तामील करने का निर्देश दिया था, लेकिन सक्षम न्यायालय से गिरफ्तारी वारंट को निरस्त करा लिया. दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद आयोग ने कातिम लाल यादव को दस हजार रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया.

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