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पीएमसीएच के भरोसे चल रहा है रेलवे का अस्पताल

पटना: पूर्व मध्य रेलवे की सूची में दर्ज मॉडल स्टेशन पटना में यात्रियों को मेडिकल की सुविधा नहीं मिल पा रही है. वे पूरी तरह से पीएमसीएच पर आश्रित हैं, जबकि जंकशन के करबिगहिया की तरफ करोड़ों रुपये खर्च कर रेलवे ने सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाया है. खास बात तो यह है कि जंकशन पर […]

पटना: पूर्व मध्य रेलवे की सूची में दर्ज मॉडल स्टेशन पटना में यात्रियों को मेडिकल की सुविधा नहीं मिल पा रही है. वे पूरी तरह से पीएमसीएच पर आश्रित हैं, जबकि जंकशन के करबिगहिया की तरफ करोड़ों रुपये खर्च कर रेलवे ने सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाया है.

खास बात तो यह है कि जंकशन पर 24 घंटों के दौरान लोकल व एक्सप्रेस मिला कर लगभग 225 से अधिक ट्रेनों के माध्यम से 3 लाख यात्री सफर करते हैं. रेलवे पुलिस के मुताबिक पटना जंकशन पर हर माह 25 से अधिक यात्रियों को गंभीर चिकित्सकीय सुविधा की जरूरत पड़ती है.

बीमार होने व जहर खुरानी के शिकार यात्रियों को भी जंकशन पर मेडिकल सुविधा नहीं मिल पाती है. यही वजह है कि कई यात्री अपनी जान गंवा बैठते हैं. अगर पटना जंकशन पर कोई यात्री गंभीर रोग से ग्रसित है या दुर्घटना का शिकार हुआ है, तो उसकी मौत निश्चित है. क्योंकि यहां पर मेडिकल सुविधा के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है. कोई यात्री इमरजेंसी हालत में है, तो रेलवे पुलिस को पीएमसीएच की मदद लेनी पड़ती है. यहां के डॉक्टर गंभीर मरीज को तुरंत पीएमसीएच रेफर कर देते हैं.

एंबुलेंस में मेडिकल स्टाफ ही नहीं

यात्रियों की सुविधा के लिए रेलवे प्रशासन ने महज एक ही एंबुलेंस की व्यवस्था की है. लेकिन, मरीज को ले जाते समय उसमें न तो डॉक्टर की टीम होती है और नहीं स्वास्थ्य उपचार के लिए उपकरण रखा होता है. मरीज को भरती या फिर इलाज कराने के लिए जीआरपी के जवान जाते हैं. यात्रियों का कहना है कि इलाज के दौरान एंबुलेंस में मेडिकल का कोई व्यक्ति जाता, तो काफी मरीज की जान बच भी सकती है.

रास्ते में ही मौत

जंकशन पर आये दिन रनओवर या ट्रेन से गिर कर यात्री घायल होते हैं. रेलवे पुलिस तुरंत इन यात्रियों को पीएमसीएच के इमरजेंसी वार्ड में इलाज के लिए ले जाती है. जंकशन से पीएमसीएच की दूरी करीब पांच किलोमीटर है. हॉस्पिटल की दूरी के साथ ही मार्ग पर जाम काफी रहता है. इससे मरीज को वहां पहुंचने में आधे घंटे से अधिक का समय लगता. अगर मरीज की तबीयत अधिक गंभीर है, तो वह रास्ते में ही दम तोड़ देता है.

हर माह 10 मरीजों की होती है मौत

रेलवे पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार महीने में दस से अधिक मौत ट्रेन से गिर कर या फिर ट्रैक पार करने के दौरान हो रही है. खास बात तो यह है कि अगर किसी यात्री की सांसें चल रही होती है और उसे रेलवे की ओर से बने हॉस्पिटल में भरती कराया जाता है, तो वहां के डॉक्टर अपना हाथ पीछे कर लेते हैं और मरीज को तुरंत पीएमसीएच रेफर कर देते हैं. इससे मरीज की मौत बीच रास्ते में ही हो जाती है.

पटना जंकशन पर फस्ट एंड बॉक्स की सुविधा दी गयी है. केस अधिक गंभीर रहता है, तो रेलवे के हॉस्पिटल या फिर पीएमसीएच भेजा जाता है. रही बात मरीजों को होनेवाली परेशानी की, तो राज्य सरकार को भी इस समस्या पर ध्यान देना चाहिए.

अरविंद कुमार रजक, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, पूमरे.

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