पटना: दवा घोटाला की जानकारी स्वास्थ्य विभाग,हेल्थ सोसाइटी व निगम सभी को थी, लेकिन मामले को दबा दिया गया. विभागीय सूत्रों की मानें, तो सितंबर से अक्तूबर 2013 के बीच घोटाला की फाइल विभाग को भेजी गयी, लेकिन दिसंबर तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. बाद में जब मामला कोर्ट पहुंचा,तो विभाग ने एक जांच कमेटी बनायी.
रिपोर्ट के बाद मामला ने तूल पकड़ा और टेंडर कमेटी में शामिल सभी सदस्यों को शो कॉज भेजा गया, जिसका जवाब अब तक विभाग को नहीं मिला है. विभाग के एक वरीय अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मामले को दबाने की कोशिश चल रही थी. कोर्ट में मामला जाने के बाद अधिकारियों से स्पष्टीकरण मांगा गया है. मामले की गंभीरता को कम करने के लिए हर दिन अलग-अलग बयान जारी किये जा रहे हैं.