पटना : देशव्यापी के विभिन्न ट्रेड यूनियनों के हड़ताल का असर बिहार के विभिन्न जिलों में देखा गया. ट्रेड यूनियनों की हड़ताल को वामदल के अलावा कांग्रेस, हम, रालोसपा, कांग्रेस के ट्रेड यूनियन और छात्र संगठन शामिल हैं. देशव्यापी हड़ताल का असर आम जनजीवन पर भी पड़ा. हड़ताल से बैंक, बीएसएनएल, डाक विभाग, बीमा निगम, बैंक, रेल सहित तमाम केंद्रीय कार्यालय प्रभावित हुए. हड़ताल में बैंक यूनियनों के शामिल होने कारण व्यावसायिक, ग्रामीण और सहकारिता बैंक की शाखाओं में ताले लटके रहे. लोगों को नकद रुपये के लिए एटीएम पर निर्भर रहना पड़ा. मालूम हो कि ट्रेड यूनियनों इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआइयूटीयूसी, टीयूसीसी, एसइडब्ल्यूए, एआइसीसीटीयू, एलपीएफ, यूटीयूसी सहित विभिन्न संघों और फेडरेशनों के आह्वान पर हड़ताल बुलायी गयी है.
केंद्र सरकार पर मजदूर विरोधी नीति का आरोप लगाते हुए बुधवार सुबह मजदूर यूनियनों ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया. बाद में प्रदर्शन धरना में तब्दील हो गया. नेताओं ने धरना-प्रदर्शन के बाद जिला पदाधिकारी को विभिन्न मांगों से संबंधित एक ज्ञापन भी सौंपा. जिलाधिकारी को दिये आवेदन में मजदूर नेताओं ने श्रम कानूनों में एकतरफा संशोधन बंद करने, न्यूनतम मजदूरी 21 हजार रुपए करने, सबको चिकित्सा बीमा व न्यूनतम सात हजार रुपये पेंशन देने, स्थाई प्रकृति के कार्यों में ठेका प्रथा बंद करने, समान कार्य समान वेतन देने, महंगाई पर रोक लगाने, उद्योगपतियों को छंटनी का अधिकार बंद करने, मृत और सेवानिवृत्त कामगारों के आश्रितों को नौकरी देने, देश में रोजगार बढ़ाने, कौशल विकास सुनिश्चित करने, देश के पब्लिक सेक्टर उपक्रमों को बेचना बंद करने, निर्माण मजदूरों का निबंधन और योजनाओं का लाभ दिलाने में श्रमिक संघों की भूमिका सुनिश्चित करने, आईएनओ कन्वेशन 87 व 98 को रेटिफाई करने, पीएफईएसआई को ऑप्सनल बनाना बंद करने, ग्रेच्यूटी भुगतान की सीमा 15 दिनों से बढ़ाने, बिहार के चीनी मिल मजदूरों को उत्तर प्रदेश चीनी मिल के पैटर्न पर अवकाश देने आदि की मांग शामिल है.
लोकतांत्रिक जनता दल के मुखिया शरद यादव ने ट्वीट कर कहा है कि 'भारत बंद 2020 समय की जरूरत है. क्योंकि, वर्तमान सरकार जिस तरह से संवैधानिक, दलित विरोधी, अति पिछड़ा, गरीब-विरोधी और अल्पसंख्यक-विरोधी काम करने में व्यस्त है और आमलोगों की गतिविधियों के खिलाफ है, जिसके परिणामस्वरूप जीडीपी विकास दर सबसे कम 5% है. 45 वर्षों में बेरोजगारी अपने चरम पर है.'
.jpg?auto=format%2Ccompress)
सुपौल में हड़ताल और बंद के दौरान ट्रेड यूनियन व किसान संगठनों ने किया प्रदर्शन.सीपीआईएम नेता व कार्यकर्ताओं ने निकाला मार्च.

दरभंगा में किसान-मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ निकाला गया विरोध मार्च. मार्च में सीपीआईएम कार्यकर्ता हुए शामिल.
.jpg?auto=format%2Ccompress)
भागलपुर में हड़ताल के दौरान ट्रेड यूनियनों का संयुक्त प्रदर्शन. सीपीआई(एम) ने दिया समर्थन.

भारतीय मजदूर यूनियन के आह्वान पर पुरैनी मुख्यालय में सीपीआईएम एवं रसोईया संघ ने एसएच 58 को किया जाम.

वैशाली जिले के पातेपुर स्थितशिवना चौक परमाले का चक्का जाम.
.jpg?auto=format%2Ccompress)
सीवान में हड़ताल और बंद के समर्थन मेंसड़कों पर उतरेसीपीआईएम कार्यकर्ता.
.jpg?auto=format%2Ccompress)
बांका में प्रदर्शन के समर्थन में सीपीआईएम नेता और कार्यकर्ता भी हुए शामिल.
.jpg?auto=format%2Ccompress)
समस्तीपुर में संयुक्त ट्रेड यूनियनों का प्रदर्शन. प्रदर्शन में सीपीआई (एम) राज्य सचिव मंडल सदस्य कॉ अजय और अन्य.