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जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल : एक मरीज की मौत,10 ऑपरेशन टले

पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों की पांच दिनों से जारी हड़ताल से बुधवार को भर्ती 65 वर्षीय लाला रविदास की मौत हो गयी. संपतचक निवासी उक्त मरीज को परिजनों ने डायरिया व दस्त की शिकायत पर मंगलवार को इमरजेंसी में भर्ती कराया था. इलाज नहीं होने से मरीज की मौत […]

पटना सिटी : नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जूनियर डॉक्टरों की पांच दिनों से जारी हड़ताल से बुधवार को भर्ती 65 वर्षीय लाला रविदास की मौत हो गयी. संपतचक निवासी उक्त मरीज को परिजनों ने डायरिया व दस्त की शिकायत पर मंगलवार को इमरजेंसी में भर्ती कराया था. इलाज नहीं होने से मरीज की मौत हो गयी. यह आरोप मृतक के पुत्र चंदन का है.

मरीज की मौत के बाद परिजन अस्पताल की कुव्यवस्था को जिम्मेदार ठहरा रहे थे. इसको लेकर इमरजेंसी के गेट पर अफरा-तफरी भी मच गयी थी. हालांकि बाद में समझाने-बुझाने के बाद परिजन शव ले गये. अस्पताल के उपाधीक्षक सह प्रभारी अधीक्षक डॉ गोपाल कृष्ण ने बताया कि मेडिसिन के डॉ उमा शंकर प्रसाद की यूनिट में मृतक मरीज को भर्ती कर उपचार सीनियर डॉक्टरों ने किया.
इलाज में कोताही नहीं बरती गयी है. मरीज गंभीर स्थिति में आया था. जिससे उसकी मौत हुई. चिकित्सकों ने बताया कि हंगामा व हड़ताल के चार दिन बाद शिशु रोग विभाग की इमरजेंसी में एक मरीज को भर्ती किया गया है. जिसका इलाज चल रहा है. धरती के भगवान कहे जाने वाले जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल वापस नहीं लेने के फैसले से एक मरीज की जान चली गयी.
नहीं माने जूनियर डॉक्टर, होती रही बातचीत
कॉलेज प्राचार्य डॉ विजय कुमार गुप्ता प्रभारी अधीक्षक डाॅ गोपाल कृष्ण ने हड़ताली डॉक्टरों को समझाने व हड़ताल वापस लेने के लिए बातचीत करते रहे, लेकिन हड़ताली चिकित्सक नहीं मानें. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि रंजन कुमार रमण का कहना है कि वार्ता चल रही है. मांगों की पूर्ति होते ही हड़ताल समाप्त कर दी जायेगी.
ओपीडी को कराया बंद, नेत्र विभाग में हुए छह आॅपरेशन, 1600 मरीज पहुंचे
हड़ताल की वजह से बुधवार को भी दस से अधिक मरीजों का आॅपरेशन टाला गया. स्थिति यह थी कि कुछ विभागों में ऑपरेशन रखा ही नहीं गया. सुबह आठ बजे जब केंद्रीय पंजीयन काउंटर खुला तो उपचार कराने पहुंचे मरीजों का पंजीयन आरंभ हुआ. कर्मियों की मानें तो लगभग 1600 मरीजों ने पंजीयन कराया था. इसमें 1320 नये मरीज व 275 पुराना मरीज व 18 मरीज भर्ती के लिए पंजीयन कराया था.
पंजीयन कराने के उपरांत सीनियर की ओर से मरीजों को ओपीडी की सुविधा दी जा रही थी, इसी दरम्यान लगभग साढ़े दस बजे हड़ताली चिकित्सकों का दल ने मेडिसिन, शिशु रोग विभाग, सर्जरी, ऑर्थो समेत अन्य विभागों में चल रहे ओपीडी को बंद करा दिया. अस्पताल प्रशासन की मानें तो नेत्र विभाग में छह मरीजों का आॅपरेशन किया गया है.
सीनियर डॉक्टरों का कहना है कि जितनी देर ओपीडी उसमें लगभग छह सौ मरीजों का उपचार किया गया. इधर, कामकाज बाधित कराने के बाद हड़ताली चिकित्सकों ने इमरजेंसी गेट पर धरना प्रदर्शन दिया. जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के अध्यक्ष रवि रंजन कुमार रमण व सचिव राहुल शेखर ने बताया कि मांगों को माने जाने तक आंदोलन कायम रहेगा.
जांच को पहुंचे निदेशक प्रमुख
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव के निदेश पर बुधवार को विभाग के निदेशक प्रमुख डॉ अशोक कुमार व कॉलेज प्राचार्य डॉ विजय कुमार गुप्ता मामले में जांच के लिए अस्पताल पहुंचे. जहां पर निदेशक प्रमुख ने शिशु रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विनोद कुमार सिंह से घटना की जानकारी ली.
इसके बाद जूनियर डॉक्टरों को बुला कर पूछताछ की. इस मामले में कॉलेज प्राचार्य ने बताया कि प्रधान सचिव के निदेशक पर दो सदस्यीय जांच टीम बनायी गयी थी. जिसके आलोक में निदेशक प्रमुख व वह खुद जांच मामले की जांच के लिए अस्पताल पहुंचे. दोनों तरफ के शिकायत की जांच की गयी है. जांच रिपोर्ट प्रधान सचिव को सौंप दी जायेगी. प्रधान सचिव निर्णय लेंगे.

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