बिहार में मादा एडीज मच्छर ने पिछले दो माह से कहर बरपा कर रखा है. इस मच्छर के काटने के कारण डेंगू बुखार होता है और अभी राज्य स्तर पर डेंगू मरीजों का आंकड़ा आधिकारिक रूप से 1500 पहुंच चुका है. पीएमसीएच में ही डेंगू मरीजों की कुल संख्या 945 तक पहुंच चुकी है. जबकि पिछले साल अक्तूबर के पहले सप्ताह तक मरीजों की संख्या महज 256 के आसपास ही थी. बीमारी के लगातार प्रसार के बाद पीएमसीएच और एनएमसीएच में मरीजों की जांच के लिए शिविर का आयोजन किया गया है और जन जागरूकता की शुरुआत हुई है. इस बीच मरीजों की संख्या में रोज बढ़ोतरी हो रही है. सबसे ज्यादा मरीज राजधानी पटना से मिल रहे हैं. इसके अलावा औरंगाबाद, नालंदा, नवादा, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, बेगूसराय, कटिहार सहित लगभग सभी जिलों से भी मरीज सामने आ रहे हैं. इस बीमारी के इतिहास की बात करें तो गुजरात और दिल्ली जैसे राज्य इस बीमारी से सबसे ज्यादा पीड़ित रहे हैं, लेकिन जागरूकता से उन राज्यों ने मरीजों की संख्या काफी कम कर ली. लेकिन बिहार अभी भी इससे गंभीर रूप से जूझ रहा है.
जानिए क्या है डेंगू मच्छर?
जिस मच्छर के काटने से डेंगू होता है, उस मच्छर का नाम होता है मादा एडीज मच्छर. यह दिखने में भी सामान्य मच्छर से अलग होता है और इसके शरीर पर चीते जैसी धारियां बनी होती है. यह मच्छर अक्सर रोशनी में ही काटते हैं. रिपोर्ट्स में सामने आया है कि डेंगू के मच्छर दिन में खासकर सुबह के वक्त काटते हैं. वहीं, अगर रात में रोशनी ज्यादा है तो भी यह मच्छर काट सकते हैं. इसलिए सुबह और दिन के वक्त इन मच्छरों का ज्यादा ध्यान रखें. एडीज बहुत ऊंचाई तक नहीं उड़ पाता. इंसान के घुटने के नीचे तक ही पहुंच होती है.
डेंगू बुखार के क्या हैं लक्षण?
डेंगू बुखार में प्लेटलेट्स की संख्या घट जाती है. 1.5 लाख से 3.5 लाख के बीच रहने वाला प्लेटलेट्स यदि 20 हजार के नीचे आ जाये तो प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता पड़ती है. इसमें तेज बुखार के साथ हड्डियों के जाेड़ों में तेज दर्द, सिर दर्द, उल्टी, मतली, आंखों में दर्द और शरीर पर लाल चकत्ते जैसे लक्षण शामिल हैं. गंभीर स्थिति में शौच का रंग काला हो जाना, मल या मूत्र में रक्त, सांस लेने में दिक्कत और थकान जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.
प्लेटलेट्स की क्या है भूमिका?
शरीर को पूरी तरह से स्वस्थ रखने में प्लेटलेट्स का बड़ा योगदान होता है. प्लेटलेट्स छोटी रक्त कोशिकाएं होती हैं जो रक्तस्राव को रोकने के लिए आपके शरीर के थक्कों को बनाने में मदद करती है. शरीर में चढ़ाने के लिए बनाया जाने वाला प्लेटलेट्स होल ब्लड से बनाया जाता है.
क्या करें?
यदि आपको तीन दिनों से बुखार हो तो सबसे पहले डॉक्टर से मिलें. उनकी सलाह पर जांच कराएं.
यदि प्लेटलेट्स घटा हुआ भी हो तो परेशान नहीं हों. पैरासेटामोल 650 एमजी लें.
इस दौरान तरल पदार्थ, मसलन ओआरएस, नारियल का पानी आदि लेते रहें. इससे आपको राहत मिलेगी.
प्लेटलेट्स की काउंटिंग हर दो दिन पर लें, यदि 20 हजार से कम हो तो प्लेटलेट्स चढ़ाना पड़ सकता है.
इस दौरान मच्छरदानी हमेशा लगाकर रखें. डॉक्टरी निगरानी आवश्यक है.
इस प्रकार बरतें सावधानी
अपने आसपास पानी जमा नहीं होने दें.
यदि पानी जमा हो तो उसपर किरासन तेल डाल दें.
गमले के पानी को दो दिन में बदल दें.
कूलर के पानी की टंकी को सप्ताह में एक दिन खाली रखें.
याद रखें
प्लेटलेट्स कम केवल डेंगू के कारण नहीं होता है. यह मलेरिया और टायफाइड जैसी बुखार में भी हो जाता है.
1.5 लाख से लेकर 3.5 लाख तक प्लेटलेट्स नॉर्मल होता है.
इसे चढ़ाने की आवश्यक्ता तभी पड़ती है, जब यह दस हजार के लेवल तक आ जाये.