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570 ईस्वी में 17 दिन तक लगातार हुई थी बारिश

सुबोध कुमार नंदन, पटना : पटना (प्राचीन समय में पाटलिपुत्र) में हर वर्ष अगस्त-सितंबर में गंगा से बाढ़ का खतरा बना रहता है. पटना में वैसे 1934, 1967 और 1975 में बाढ़ आयी थी. इनमें केवल 1975 में आयी बाढ़ की चर्चा लोग करते हैं, लेकिन जब हम पाटलिपुत्र के अतीत में जाते हैं, तो […]

सुबोध कुमार नंदन, पटना : पटना (प्राचीन समय में पाटलिपुत्र) में हर वर्ष अगस्त-सितंबर में गंगा से बाढ़ का खतरा बना रहता है. पटना में वैसे 1934, 1967 और 1975 में बाढ़ आयी थी. इनमें केवल 1975 में आयी बाढ़ की चर्चा लोग करते हैं, लेकिन जब हम पाटलिपुत्र के अतीत में जाते हैं, तो जानकारी मिलती है कि इससे पहले भी यहां बाढ़ आयी थी. इसके कारण पाटलिपुत्र शहर पूरी तरह ध्वस्त हो गया था.

भगवान बुद्ध की भविष्यवाणी कितनी दूरदर्शी थी. भगवान बुद्ध जब पाटलिपुत्र आये थे, तो उन्होंने इसके बारे में भविष्यवाणी की थी. पाटलिपुत्र व्यापार का प्रधान नगर होगा, इसके तीन शत्रु होंगे. आग, बाढ़ और आपस में फूट. इसे उनके महापरिनिर्वाण के लगभग एक हजार वर्ष बाद सन 570 ईसवी में अायी भीषण बाढ़ के रूप में देखा जा सकता है.
सोन नद से डूब गया था शहर
जैन ग्रंथ तितलटोगली पैनिया (तीत्योगलि पण्णइ तथा तिलाेय पण्णीत्ती ) के अनुसार 570 से 575 के मध्य भाद्रपद में पाटलिपुत्र में आये विनाशकारी बाढ़ की जानकारी मिलती है. एेसा वर्णन है कि 17 दिन और 17 रात लगातार बारिश होने से गंगा का जल स्तर सोन के बराबर हो गया. इस प्रकार सोन नदी के पानी से पूरा शहर डूब गया था.
जल का प्रवाह इतना तीव्र था कि यहां के कई नागरिक और भिक्षु उसके शिकार हो गये. बहुत कम लोगों को नाव द्वारा बचाया जा सका. सन 635 ईसवी में आये ह्वेनसांग के यात्रा वृतांत से पता चलता है कि, उस समय पाटलिपुत्र की दशा दयनीय और उसकी भव्यता तथा विशालता पतनोन्मुख थी. अव्यवस्था और अशांति की वजह से पाटलिपुत्र का वैभव भी समाप्त-सा हो गया था.

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