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पटना : सब्सिडी वाले केरोसिन पर पाबंदी का सुझाव
पटना : बिहार प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि प्रदूषण को अगर कम करना है, तो प्रदेश में अनुदानित कीमत पर बांटी जा रही मिट्टी के तेल (केरोसिन ) पर पाबंदी लगा दी जाये. दरअसल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आकलन है कि मिट्टी के तेल का कालाबाजारी के जरिये वाहन […]
पटना : बिहार प्रदूषण नियंत्रण पर्षद ने राज्य सरकार को सलाह दी है कि प्रदूषण को अगर कम करना है, तो प्रदेश में अनुदानित कीमत पर बांटी जा रही मिट्टी के तेल (केरोसिन ) पर पाबंदी लगा दी जाये. दरअसल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का आकलन है कि मिट्टी के तेल का कालाबाजारी के जरिये वाहन आदि में ईंधन के उपयोग में लाया जा रहा है.
इसके जवाब में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग का कहना है कि प्रति राशन कार्डधारी केवल एक ही लीटर मिट्टी का तेल बांटा जा रहा है.प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का दावा है कि समय-समय पर होने वाली जांच में पता चला है कि ट्रैक्टर और शहर में चलने वाले ऑटो आदि पुराने छोटे वाहनों में डीजल या पेट्रोल के साथ केराेसिन मिला कर उपयोग में लाया जा रहा है.
कुल मिलाकर झुग्गी-झोंपड़ी,छात्रावास और रैन बसेरों के लिए दिये जाने वाले केरोसिन का गलत उपयोग किया जा रहा है. यह भी शहरी प्रदूषण की अहम वजह है. बता दें कि लाखों लीटर केरोसिन अनुदानित कीमताें पर उपलब्ध कराया जाता है. खाद्य विभाग के मुताबिक प्रति ठेला वेंडर 400 लीटर दिया जा रहा है.
प्रदेश में ऐसे हजारों वेंडर हैं.
गरीबों को बांटा जाता है अनुदानित केरोसिन
शहरी क्षेत्र में अनुदानित कीमत पर राशन कार्डधारकों को मिट्टी का तेल नहीं दिया जाता है. शहरी क्षेत्र में केवल छात्रावासों, झुग्गी-झोंपड़ी और रैन बसेराें को अनुदानित मिट्टी का तेल बांटा जाता है. ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति राशन कार्डधारी को एक लीटर दिया जाता है. फिलहाल प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने केराेसिन के गलत उपयोग के आधार पर प्रदूषण की मुख्य वजहों में से एक माना है.
कालाबाजारी बिल्कुल नहीं हो रही
हम पॉल्यूशन नियंत्रण में मदद करना चाहते हैं . जहां तक अनुदानित कीमत पर दिये जा हरे केरोसिन की बात है तो उसकी आपूर्ति पहले से ही काफी कम कर कर दी गयी है. शहरी क्षेत्र में केवल छात्रावासों से बेहद गरीब वर्ग को ही दिया जा रहा है. कालाबाजारी बिल्कुल नहीं हो रही है.
पंकज कुमार पाल , सचिव खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग
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