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पटना : जल-जीवन-हरियाली अभियान को मिशन मोड में चलायेगी सरकार

जलवायु परिवर्तन से निबटने की तैयारी : दो अक्तूबर से सभी पंचायतों में शुरू होगा यह अभियान पटना : राज्य में दो अक्तूबर से आरंभ हो रहे जल-जीवन-हरियाली अभियान को सरकार मिशन मोड में चलायेगी. तीन साल तक चलने वाले इस अभियान पर कुल 24 हजार 524 करोड़ रुपये खर्च होने के अनुमान हैं. मिशन […]

जलवायु परिवर्तन से निबटने की तैयारी : दो अक्तूबर से सभी पंचायतों में शुरू होगा यह अभियान
पटना : राज्य में दो अक्तूबर से आरंभ हो रहे जल-जीवन-हरियाली अभियान को सरकार मिशन मोड में चलायेगी. तीन साल तक चलने वाले इस अभियान पर कुल 24 हजार 524 करोड़ रुपये खर्च होने के अनुमान हैं. मिशन को तेज गति देने के लिए सोसायटी एक्ट के तहत निबंधन कराया जायेगा. कार्यों की निगरानी के लिए राज्य और जिला स्तर पर परामृशदातृ समिति का गठन किया जायेगा.
राज्य स्तर गठित समिति के अध्यक्ष संसदीय कार्य मंत्री होंगे. सदस्य के रूप में 15 विधायक और पांच विधान पार्षदों का मनोनयन किया जायेगा. इसके अलावा अधिकारियों की टीम होगी. जिला स्तर पर डीएम इसके संश्योजक होंगे और जिले में तैनात वरिष्ठ अधिकारी इसके सदस्य होंगे.
सरकार की समझ है कि पिछले कई वर्षों से जलवायु परिवर्तन के फलस्वरुप वर्षापात में कमी एवं भू-जल स्तर में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. राज्य के सभी इलाकों में भू-जल स्तर में गिरावट आने की वजह से पेयजल की समस्या के साथ-साथ फसलों के उत्पादन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. सरकार की पहल पर 13 जुलाई, 2019 को विधानमंडल के सभी सदस्यों की संयुक्त बैठक हुई, जिसमें इस आपदाजनक स्थिति से निपटने के लिए गहन विचार विमर्श किया गया.
सदस्यों के सुझावों एवं परामर्श के आधार पर सरकार ने जल-जीवन-हरियाली अभियान शुरु करने का निर्णय लिया. जल-जीवन-हरियाली अभियान का मतलब है, जल है और हरियाली है, तभी जीवन है. चाहे वह जीवन मनुष्य का हो या पशु-पक्षी का. यानि जल और हरियाली के बीच जीवन है. अभियान को सफल बनाने के लिए संबद्ध विभागों के साथ समन्वय स्थापित करने एवं बेहतर संचालन हेतु ग्रामीण विकास विभाग को नोडल विभाग बनाया गया है.
अभियान की प्रमुखता में राज्य की बढ़ती जनसंख्या ,मानवीय गतिविधि एवं जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के उद्देश्य शामिल हैं.
पानी को नष्ट होने से बचाने के तरीकों और बचाव को लेकर लोगों को जागरूक किया जायेगा. जन चेतना के माध्यम से लोगों को यह भी बताया जायेगा कि कम वर्षा होने पर भू-जल ही एकमात्र सहारा है. उन्हें वर्षा जल इकट्ठा करना होगा. साथ ही पेयजल के दुरुपयोग से भी बचना होगा. जल को प्रदूषण मुक्त रखना, इसका स्तर संतुलित रखना तथा पर्याप्त जल उपलब्धता सुनश्चित करना, जल संरक्षण के लिए अति आवश्यक है.
हरित आच्छादित को बढ़ावा देना, नवीकरणीय ऊर्जा के उपयोग एवं ऊर्जा की बचत पर बल देना भी इस अभियान का एक प्रमुख अंग है. अभियान के विभिन्न योजनाओं पर 2019-20 में 5870 करोड़ रुपए, 2020-21 में 9874 करोड़ और 2021-22 में 8780 करोड़ रुपए, कुल 24 हजार 524 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है. जल-जीवन-हरियाली मिशन के प्रशासनिक मद में 2019-20 से 2021-22 तक कुल 23.39 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है.

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