नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में एक महिला ने जेडीयू नेता की पत्नी होने का दावा किया है. साथ ही शीर्ष अदालत को बताया है कि वह पिछले 45 सालों से साथ रह रही है. मालूम हो कि लिव इन पार्टनर के रूप में साथ रह रही महिला को दिल्ली हाईकोर्ट ने चार हफ्ते तक अलग रहने का आदेश दिया है. इसके बाद महिला ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता महिला को दिल्ली हाईकोर्ट भेज दिया है.
मशहूर उद्योगपति लगातार सात बार से जेडीयू के राज्यसभा सांसद हैं. करीब सात हजार करोड़ की संपत्ति के मालिक किंग महेंद्र कानूनी उलझन में फंस गये हैं. उनकी सेक्रेटरी उमा देवी ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि वह उनकी पत्नी है और पिछले 45 सालों से साथ रह रही है. इसलिए साथ रहने दिया जाये. किंग महेंद्र के बेटे रंजीत शर्मा ने आरोप लगाया है कि उनके पिता की सेक्रेटरी उमा देवी ने उनकी मां को एक फार्म हाउस में बंधक बना रखा है. उन्हें ना तो पिता से मिलने दिया जा रहा है और ना ही मां से. साथ ही उन्होंने पिता को अल्जाइमर रोग होने की बात कही है.
मालूम हो कि किंग महेंद्र अपनी पत्नी के साथ लिव इन पत्नी उमा देवी के साथ दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास में साथ रहते थे. हाईकोर्ट के एक फैसले में उन्हें चार हफ्ते तक घर छोड़ कर अलग रहने का आदेश दिया है. इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. मामले की सुनवाई करते हुए उमा देवी के अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हाईकोर्ट ने मामले में पूरी तरह से अवैध प्रक्रिया का पालन किया है. पति-पत्नी को अलग-अलग क्यों रहना चाहिए? साथ ही मामले को अजीबोगरीब बताते हुए जांच पर सवाल उठाये. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट को इस तरह का आदेश नहीं देना चाहिए. क्योंकि, यह बंदी प्रत्यक्षीकरण से जुड़ा मामला है. इसके बाद शीर्ष अदालत ने स्पष्टीकरण के लिए उमा देवी को हाईकोर्ट भेज दिया.
वर्ष 1971 में महेंद्र प्रसाद ने अपनी फैक्टरी की नींव रखी. आज उनकी दो कंपनी एरिस्टो फार्मास्यूटिकल और मैप्रा लेबोरेटरीज प्राइवेट लिमिटेड है. दोनों कंपनियों से किंग महेंद्र के पास 4000 हजार करोड़ की चल और 2910 करोड़ की अचल संपत्ति है. जहानाबाद जिले के गोविंदपुर गांव निवासी किंग महेंद्र प्रसाद 1980 में पहली बार कांग्रेस के टिकट पर जहानाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीतने के बाद संसद पहुंचे. हालांकि, वर्ष 1984 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा. लेकिन, साल 1985 में वह राज्यसभा पहुंचे. इसके बाद उन्होंने पार्टियां बदलीं, लेकिन राज्यसभा में ही रहे. वह पिछले चार बार से जेडीयू के राज्यसभा उम्मीदवार हैं.