पटना: हेपेटाइटिस बी वायरस का प्रसार संक्रमित रक्त या शरीर के स्नव (लार, पसीना व वीर्य आदि) से होता है. संक्रमित रक्त की अत्यंत सूक्ष्म मात्र, जख्म, खरोंच या सूई के द्वारा शरीर में प्रवेश कर बीमारी करा सकती है.
संक्रमित रक्त के शरीर में प्रवेश करने की संभावना रक्तग्रहण, ऑपरेशन, दांत के इलाज, गंदे उस्तरे या शेविंग ब्लेड के प्रयोग से होती है. ये बातें रविवार को विश्व हेपेटाइटिस दिवस के पूर्व संख्या पर इंडियन सोसाइटी ऑफ गैस्ट्रो इंट्रोलॉजी द्वारा आयोजित जागरूकता कार्यक्रम में लीवर व पेट रोग विशेषज्ञ डॉ बीके अग्रवाल ने कहीं. उन्होंने कहा कि इसे रोकने के लिए ऑपरेशन व दंत चिकित्सा के सभी उपकरण उबाल कर या केमिकल द्वारा स्टेलाइज कर कीटाणु मुक्त किया जाता है.
इसके अलावा हेपेटाइटिस बी का प्रसार मां के द्वारा शिशु में प्रसव के दौरान भी संभव है. वहीं असुरक्षित यौन संबंध से भी संक्रमित व्यक्ति हेपेटाइटिस बी का प्रसार कर सकता है. डॉ अनंत कुमार सिंह ने कहा कि हेपेटाइटिस एक विषाणु है, जो यकृत (लीवर) पर आघात करता है, जिससे मरीज की मौत भी हो सकती है. बीमारी को जड़ से खत्म करने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है, ताकि लोग समय पर टीका लगवाएं. उन्होंने कहा कि यह रोग बहुत तेजी से फैलता है, लेकिन इस रोग से बचाव पूरी तरह से संभव है. कार्यक्रम में किताब का भी विमोचन किया गया.
इससे नहीं फैलता हेपेटाइटिस बी : हेपेटाइटिस बी का संक्रमण हाथ मिलाने, चूमने, खांसने, छीकने, आलिंगन या एक ही बर्त्तन में साथ खाने से नहीं होता है. बच्चों के आपस में साथ-साथ खेलने से भी हेपेटाइटिस बी का प्रसार नहीं होता है.