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ललित बाबू की अंतिम पंक्ति ”मैं रहूं या न रहूं, बिहार बढ़कर रहेगा” को पुस्तक में उकेरा

पटना : रेल मंत्री स्व ललित नारायण मिश्र की अंतिम पंक्ति ‘मैं रहूं या न रहूं, बिहार बढ़कर रहेगा’ को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र ने पुस्तक में उकेरने का काम किया. डॉ मिश्र ने ‘बिहार बढ़कर रहेगा’ पुस्तक लिखी. पुस्तक का लोकार्पण इस साल 21 जनवरी, 2019 को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया. […]

पटना : रेल मंत्री स्व ललित नारायण मिश्र की अंतिम पंक्ति ‘मैं रहूं या न रहूं, बिहार बढ़कर रहेगा’ को पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र ने पुस्तक में उकेरने का काम किया. डॉ मिश्र ने ‘बिहार बढ़कर रहेगा’ पुस्तक लिखी.

पुस्तक का लोकार्पण इस साल 21 जनवरी, 2019 को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया. सक्रिय राजनीति में रह कर भी डॉ मिश्र ने अध्ययन व लेखन से जुड़ाव सतत बना रहा. उन्होंने सामाजिक व आर्थिक विषयों पर 23 पुस्तकें लिखीं. उनकी अंतिम पुस्तक शायद बिहार बढ़कर रहेगा है. सबसे पहली पुस्तक 1965 में सार्वजनिक वित्त प्रकाशित हुई.

इसके बाद मनी बैंकिंग एंड इंटरनेशनल ट्रेंड्स, लैंड रिफॉर्मस, एग्रीकल्चरल मार्केटिंग इन बिहार, इंड्रस्टियल फाइनानसिंग इन बिहार, आर्थिक सिद्धांत व व्यावसायिक संगठन, ट्रेंड्स इन इंडियन फेडरल फिनांस, कॉपरेटिव बैंकिंग इन बिहार, दिशा संकेत, इंडियाज इकोनॉमिक डेवलपमेंट, फिनांसिंग ऑफ स्टेट प्लान्स, भारतीय आर्थिक विकास की नयी प्रवृतियां, प्लानिंग एंड रिजनल डेवलपमेंट इन इंडिया, माई विजन फॉरइंडियाल रूरल डेवलपमेंट,न्यू डायमेंसन ऑफ फेडरल फिनांस इन इंडिया, बिहार की पीड़ा से जुड़िए, भारतीय संघ की वित्तीय प्रवृतियां, चिंतन के आयाम, बिहार:विकास और संघर्ष, लेबर इकोनॉमिक्स, ए क्रियटिव ऑफ द इकोनॉमिक्स ऑफ कीइन्स एंड पोस्ट कीइन्स थ्योरी पुस्तक प्रकाशित हुई

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