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विधानसभा में सदस्य रहे या नहीं, पर उनके सवाल अब तक हैं जिंदा

शशिभूषण कुंवर पटना : बिहार विधानसभा के सदस्य सदन में रहें या नहीं रहे, पर उनके सवाल अब तक जिंदा हैं. सवाल पूछने वाले कुछ सदस्य की तो मृत्यु भी हो चुकी है. लेकिन, विधानसभा में उनके द्वारा पूछे गये सवाल और मंत्रियों द्वारा दिये गये अाश्वासन अब तक पीछा नहीं छोड़ रहे हैं. नंदकिशाेर […]

शशिभूषण कुंवर
पटना : बिहार विधानसभा के सदस्य सदन में रहें या नहीं रहे, पर उनके सवाल अब तक जिंदा हैं. सवाल पूछने वाले कुछ सदस्य की तो मृत्यु भी हो चुकी है.
लेकिन, विधानसभा में उनके द्वारा पूछे गये सवाल और मंत्रियों द्वारा दिये गये अाश्वासन अब तक पीछा नहीं छोड़ रहे हैं. नंदकिशाेर यादव, डॉ प्रेम कुमार और अश्विनी कुमार चौबे ने 1995 में विधायक रहते जिन मामलों को सदन में उठाया था, उसका जवाब अब तक विभाग तैयार नहीं कर पाया है. जबकि, नंदकिशोर यादव पिछले 13 सालों से राज्य सरकार में मंत्री भी हैं. वहीं, चौबे केंद्र में मंत्री हैं.
नगर विकास एवं आवास विभाग में समय-समय पर सदन में मंत्रियों द्वारा 1995 से 2017 तक करीब 534 अाश्वासनों की सूची भेजी गयी है.
इसमें से अधिकतर आश्वासनों की रिपोर्ट अब तक विधानसभा को नहीं मिल पायी है. मसलन 1995 में स्व नवीन किशोर प्रसाद सिन्हा का पटना नगर निगम को लेकर पंप की मरम्मत का आश्वासन मिला था. अब तक इस अाश्वासन की स्थिति अस्पष्ट है. राजो सिंह ने 1996 में सवाल पूछा था. उनको मिला आश्वासन अब तक पूरा नहीं हुआ है.
भाजपा नेता अश्वनी कुमार चौबे और नंदकिशोर यादव को 1995 में ही सरकार की ओर से पेयजल की व्यवस्था करने और पाइप बिछाने का अाश्वासन मिला था. वर्तमान में चौबे केंद्र सरकार में मंत्री हैं और नंदकिशोर यादव बिहार सरकार में मंत्री हैं.
इनको मिले आश्वासन भी अब तक पूरे नहीं किये गये हैं. भाजपा नेता डॉ प्रेम कुमार द्वारा भी 1995 में सड़कों के जीर्णोद्धार की मांग की थी. अब तक इस आश्वासन को भी पूरा नहीं किया गया है. सदन में मंत्री द्वारा इस तरह के दिये गये आश्वासनों की फेहरिस्त लंबी है, जिसे विभाग ने प्रशाखावार प्रदर्शित किया है.
चर्चा नहीं होने से विभाग में लंबित रह जा रहा है मामला
विधानसभा में सदस्यों द्वारा जनता से जुड़ी समस्याओं से संबंधित सरकार से सवाल पूछे जाते हैं. इसको लेकर सरकार की ओर से सदन में आश्वासन दिये जाते हैं. सरकार के द्वारा दिये गये आश्वासनों की मॉनीटरिंग के लिए विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सदन में राजकीय आश्वासन समिति का गठन किया जाता है.
इस समिति में किसी मंत्री को शामिल नहीं किया जाता. विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली के अनुसार आश्वासन समिति का दायित्व है कि वह मंत्रियों द्वारा सदन में समय-समय पर दिये गये आश्वासनों, प्रतिज्ञाओं और वचनों की जांच करती है.
साथ ही समिति का यह भी दायित्व है कि वह यह भी देखती है कि आश्वासनों को कार्यान्वित किया गया है तो इस प्रयोजन के लिए कम से कम समय के भीतर काम हुआ है या नहीं. हालांकि, कम से कम समय की अवधि का जिक्र नियमावली में नहीं किया गया है. इस कमेटी के वर्तमान सभापति व्यासदेव प्रसाद हैं.

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