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पटना : टूटेगा गंगा बेसिन में बना अपार्टमेंट, डायनामाइट से उड़ाने की तैयारी

जिला व पुलिस प्रशासन से मांगी मदद नगर आयुक्त ने मांगा पुलिस बल व मजिस्ट्रेट प्रभात रंजन बिल्डिंग बायलॉज को धता बता कर गंगा किनारे (गंगा बेसिन में) बनाये गये एक विशेष अपार्टमेंट को नगर निगम डायनामाइट से उड़ाने जा रहा है. नगर निगम ने इसके लिए योजना तैयार कर ली है. कुछ ही दिनों […]

जिला व पुलिस प्रशासन से मांगी मदद
नगर आयुक्त ने मांगा पुलिस बल व मजिस्ट्रेट
प्रभात रंजन
बिल्डिंग बायलॉज को धता बता कर गंगा किनारे (गंगा बेसिन में) बनाये गये एक विशेष अपार्टमेंट को नगर निगम डायनामाइट से उड़ाने जा रहा है. नगर निगम ने इसके लिए योजना तैयार कर ली है. कुछ ही दिनों में अवैध निर्माण के खिलाफ यह सख्त कार्रवाई की जानी है. राजापुर पुल के समीप बिल्डर सतीश बैरालिया ने कुछ समय पहले एक अपार्टमेंट बनाया. तब बिल्डिंग बायलॉज के उल्लंघन के आराेप में निर्माणाधीन अपार्टमेंट पर निगरानीवाद केस दर्ज किया गया था.
नगर आयुक्त की कोर्ट में लगातार सुनवाई के बाद बिल्डिंग ध्वस्त करने का आदेश दिया गया. हालांकि बाद में यह मामला नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में भी पहुंचा. वहां भी बिल्डर को लाभ नहीं मिला. इसके बाद नगर आयुक्त ने नोटिस भेजते हुए 30 दिनों में बिल्डिंग तोड़ने का निर्देश दिया था. नोटिस की समय-सीमा खत्म हो गयी है. फिलहाल इस बिल्डिंग को डायनामाइट लगा कर चरणबद्ध तरीके से जमींदोज करने की योजना है.
ग्रीन बेल्ट के रूप में चिह्नित : गौरतलब है कि गंगा बेसिन का इलाका बिल्डिंग बायलॉज व मास्टर प्लान में ग्रीन बेल्ट के रूप में चिह्नित है. बिल्डिंग बायलॉज में यह भी प्रावधान है कि गंगा सुरक्षा बांध के 200 मीटर अंदर तक निर्माण नहीं किया जा सकता है. इसके बावजूद निर्माण किया गया. फिलहाल अब निगम प्रशासन ने बिल्डिंग को ध्वस्त करने की योजना बनायी है. इसके लिए जिला व पुलिस प्रशासन को पत्र भेज कर मजिस्ट्रेट व पुलिस बल की मांग की गयी है. मजिस्ट्रेट व पुलिस बल मुहैया होते ही बिल्डिंग ध्वस्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी जायेगी.
– नौ अपार्टमेंटों का उठाया गया था मामला
वर्ष 2012 में विधान परिषद की बैठक में गंगा सुरक्षा बांध से ऊपर बने नौ अपार्टमेंटों का मामला उठाया गया था. इस मामले में तत्कालीन विधान परिषद के सभापति ने तत्कालीन नगर आयुक्त को निर्देश दिया था कि जांच कर कार्रवाई सुनिश्चित करें. इस निर्देश के आलोक में जांच शुरू की गयी तो बिल्डिंग बायलॉज के उल्लंघन के आरोप में निगरानीवाद केस दर्ज किया गया.
वर्ष 2012 में दिया गया था निर्देश
गंगा सुरक्षा बांध के उत्तर में बन रहे इस अपार्टमेंट
पर तत्कालीन नगर आयुक्त ने वर्ष 2012 में निगरानीवाद केस दर्ज करते हुए निर्माण पर भी रोक लगायी थी. इसकी सूचना पटना एसएसपी के साथ-साथ स्थानीय थाना को भी दी गयी, ताकि निर्माण कार्य नहीं हो सके.इसके बावजूद बिल्डर ने तीन ब्लॉकों मेंजी प्लस छह फ्लोर की बिल्डिंग खड़ी कर दी.
उल्लंघन कर बनाया अपार्टमेंट
एनजीटी ने निगम प्रशासन ने अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था. एनजीटी के निर्देश पर निगम प्रशासन ने शपथपत्र दिया कि 200 मीटर के अंदर है, यहां लगातार जल प्रवाह हो रहा है. इससे जान माल की भारी क्षति होने की आशंका है. वहीं, बिल्डिंग मुख्य सड़क के किनारे भी नहीं बनायी गयी है. इस स्थिति में बिल्डिंग बायलॉज व मास्टर प्लान की शर्तों की अनदेखी कर निर्माणाधीन अपार्टमेंट को बनाया गया है. निगम के शपथपत्र पर एनजीटी ने नगर आयुक्त के निर्णय को बरकरार रखा.
– रिपोर्ट पर उठाये जा रहे हैं सवाल
निगम क्षेत्र में अपार्टमेंट या मकान बनाने को लेकर नक्शा पारित करने की जिम्मेदारी निबंधित वास्तुविदों को दी गयी. लेकिन, नक्शा बनाने से पहले प्लान रिपोर्ट देना अनिवार्य था. अब सवाल उठ रहा है कि गंगा बेसिन व ग्रीन बेल्ट में भूखंड हैं, तो निगम प्रशासन ने प्लान रिपोर्ट कैसे जारी की. निगम की प्लान रिपोर्ट पर ही नक्शा पारित किया गया और अपार्टमेंट बनाने का काम शुरू किया गया.
– दर्जनों अपार्टमेंटों पर लटकी है तलवार
दीघा से दूजरा तक गंगा सुरक्षा बांध के उत्तर में करीब दो दर्जन अपार्टमेंट बन कर तैयार हैं या निर्माणाधीन हैं. इन अपार्टमेंटों पर निगम प्रशासन ने पहले चरण में कार्रवाई की योजना बनायी है. निगम अधिकारी ने बताया कि राजापुर पुल के समीप स्थित अपार्टमेंट में एनजीटी से बिल्डर को राहत नहीं मिली है. 30 दिनों का समय दिया था, जो खत्म हो गया है. पहली कार्रवाई राजापुर पुल स्थित अपार्टमेंट पर की जायेगी. एक-एक कर बांध के उत्तर बने अपार्टमेंटों पर कार्रवाई होगी.

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