पटना : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की दांडी यात्रा के उपलक्ष्य में छह अप्रैल को देश भर के कारागारों से बिना किसी छूट के 50 फीसद या इससे ज्यादा सजा काट चुके कैदियों को रिहा करने के सरकार ने निर्देश दिये हैं. ये राहत उन्हीं कैदियों को मिलेगी, जो निर्धारित छह श्रेणियों में आते हैं.
हालांकि दहेज हत्या, दुष्कर्म, मानव तस्करी, पोटा, यूएपीए, टाडा, धन शोधन कानून, फेमा और अन्य गंभीर अपराधों के दोषियों को विशेष माफी नहीं दी जायेगी. बिहार में ऐसे कैदियों की सूची तैयार करने की कवायद शुरू हो गयी है. ये वो बंदी हैं, जिन्हें केंद्र सरकार के निर्देश पर महात्मा गांधी के ‘डांडी यात्रा दिवस’ पर अगले साल छह अप्रैल को रिहा किया जायेगा.
इसके लिए महानिरीक्षक कारा एवं सुधार सेवाएं मिथलेश मिश्रा ने सभी कारागार अधीक्षकों को पत्र लिखकर ब्योरा तलब किया है. बता दें कि इससे पूर्व, इसी साल दो अक्तूबर को भी गांधी जयंती के अवसर पर बिहार सरकार ने 45 कैदियों को सजा पूरी होने से पहले रिहा किया था. ऐसा केंद्र सरकार के निर्देश पर किया गया था.
तीन चरणों में रिहाई : बंदियों की रिहाई एक साथ, एक दिन नहीं, बल्कि दो साल तक चलने वाले तीन चरणों में होगी. पहला चरण दो अक्तूबर 2018 निकल गया. इस दिन बिहार में 45 कैदियों को रिहा किया गया था. अब दूसरा और तीसरा चरण बचा है. दूसरा चरण छह अप्रैल 2019 डांडी यात्रा दिवस और तीसरा फिर 2 अक्तूबर 2020 गांधी जयंती के दिन होगा.
भारत सरकार ने दो अक्तूबर, 2018 से दो अक्तूबर, 2020 तक महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने का निर्णय लिया है. इसी कड़ी में देश भर की जेलों में सामान्य अपराध की सजा भुगत रहे बंदियों को तीन चरणों में रिहा करने का यह निर्णय हुआ है.