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कुर्बानी का पर्व बकरीद आज, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
फुलवारीशरीफ : त्याग और बलिदान के लिए प्रेरित करने वाला त्योहार ईद-उल-जोहा (बकरीद) का पर्व बुधवार को पूरी अकीदत के साथ मनाया जायेगा. फुलवारीशरीफ और आसपास के इलाके के विभिन्न ईदगाहों, खानकाहों और मस्जिदों में बकरीद की नमाज अदा की जायेगी. शहर के मस्जिदों में स्थानीय कमेटियों ने बकरीद की नमाज के वक्त की घोषणा […]
फुलवारीशरीफ : त्याग और बलिदान के लिए प्रेरित करने वाला त्योहार ईद-उल-जोहा (बकरीद) का पर्व बुधवार को पूरी अकीदत के साथ मनाया जायेगा. फुलवारीशरीफ और आसपास के इलाके के विभिन्न ईदगाहों, खानकाहों और मस्जिदों में बकरीद की नमाज अदा की जायेगी.
शहर के मस्जिदों में स्थानीय कमेटियों ने बकरीद की नमाज के वक्त की घोषणा पहले ही कर दी थी. प्रशासन ने बकरीद की नमाज के लिए खानकाह-ए-मुजिबिया समेत सभी ईदगाहों व मस्जिदों के पास पर्याप्त संख्या में दंडाधिकारी और पुलिस अधिकारी की तैनाती रहेगी.
ओपीडी रहेगा बंद, इमरजेंसी में होगा इलाज : पटना. बकरीद को लेकर बुधवार को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल, इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान व अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) सहित सभी सरकारी अस्पतालों की ओपीडी बंद रहेंगी. सिर्फ इमरजेंसी वार्ड खुले रहेंगे.
इमरजेंसी वार्ड में आने वाले मरीजों का इलाज किया जायेगा. आईजीआईएमएस व पीएमसीएच दोनों को अलर्ट मूड में रखा गया है. इमरजेंसी में अलग से बेड सुरक्षित रखे गये हैं. पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ राजीव रंजन प्रसाद ने बताया कि पीएमसीएच की ओपीडी बंद रखी गयी है.
इमरजेंसी वार्ड में मरीजों का इलाज किया जायेगा. साथ ही इमरजेंसी वार्ड में सीनियर डॉक्टरों की ड्यूटी लगायी गयी है.
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कुर्बानी खुदा के नजदीक आने का जरिया
पटना : कुर्बानी पैगंबर हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम की सुन्नत है. यह इस्लाम का अहम हिस्सा है. बकरीद अल्लाह के नजदीक आने का सबसे अच्छा जरिया है.
कुर्बानी हर साहब-ए-माल अर्थात जिनके पास साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना या इसके मूल्य के बराबर माल हो, उस पर वाजिब है. कुर्बानी वाले जानवर के शरीर पर जितने बाल होते हैं, उसके बराबर पुण्य होता है. कुर्बानी के जानवर का स्वस्थ होना जरूरी है. कुर्बानी के मांस को तीन हिस्सा करके एक हिस्सा खुद या अपने परिजनों को खिलाना चाहिए, दूसरा हिस्सा दोस्त व तीसरा हिस्सा गरीब-मिस्कीन के बीच बांटना बेहतर है.
हिंदू धर्म में जहां हम त्याग को कुर्बानी से जोड़ कर देखते हैं, वहीं मुस्लिम धर्म में कुर्बानी का अर्थ है खुद को खुदा के नाम पर कुर्बान कर देना़ यानी अपनी सबसे प्यारी चीज का त्याग करना़ इसी भावना को उजागर करता है
मुस्लिम धर्म का महत्वपूर्ण त्योहार ईद-उल-अजहा़ इसे साधारण बोलचाल की भाषा में बकरीद भी कहते हैं. वैसे बकरीद शब्द का बकरों से कोई रिश्ता नहीं है और न ही यह उर्दू का शब्द है. असल में अरबी में ‘बकर’ का अर्थ है बड़ा जानवर, जो जिबह (कुर्बान) किया जाता है. वास्तव में कुर्बानी का असल अर्थ ऐसे बलिदान से है, जो दूसरों के लिए दिया गया हो. जानवर की कुर्बानी तो सिर्फ एक प्रतीक भर है.
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