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पटना : नियोजित शिक्षक के वेतनमान पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई आज, वेतनमान नहीं मिलने पर सैलरी में 30-40% बढ़ोतरी तय

पटना : समान काम, समान वेतन के मामले को लेकर राज्य के नियोजित शिक्षकों की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में अब निर्णायक दौर में पहुंच गयी है. बिहार सरकार की तरफ से उनके वकीलों ने अपना पक्ष रख दिया है. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को इस मामले में सुनवाई होनी है. प्राप्त सूचना के अनुसार इस […]

पटना : समान काम, समान वेतन के मामले को लेकर राज्य के नियोजित शिक्षकों की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में अब निर्णायक दौर में पहुंच गयी है. बिहार सरकार की तरफ से उनके वकीलों ने अपना पक्ष रख दिया है. सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को इस मामले में सुनवाई होनी है.
प्राप्त सूचना के अनुसार इस बात की पूरी संभावना व्यक्त की जा रही है कि अगर इन्हें समान काम, समान वेतन का लाभ नहीं भी मिलता है, तो भी इनके वेतन में 30 से 40 फीसदी तक की बढ़ोतरी होनी तय है. परंतु पूरा मामला इन्हें वेतनमान देने के मसले पर आकर फंसता है, जिसके लिए न तो केंद्र सरकार तैयार है और न ही राज्य सरकार. मामला आर्थिक पहलू पर आकर ठहर जाता है. राज्य में अभी नियोजित शिक्षकों की संख्या करीब पौने चार लाख है. अगर इन्हें वेतनमान देना पड़ा, तो विभाग के बजट का तकरीबन पूरा हिस्सा ही खर्च हो जायेगा.
सुनवाई की शुरुआत में करीब आधा घंटा तक सरकार के वकील अब तक की पूरी स्थिति का सारांश पेश करते हुए समापन करेंगे. इसके तुरंत बाद शिक्षकों के वकील की तरफ से बहस का सिलसिला शुरू होगा. यह भी संभावना है कि कोर्ट शाम तक पूरे मामले में बहस सुनने के बाद अंतिम फैसला भी सुना सकता है या इसके लिए कोई अगली तारीख भी मुकर्र कर सकता है. दो अगस्त को हुई सुनवाई में जिस तरह से कोर्ट ने इस मामले में सरकार से प्रश्न पूछे हैं, उससे नियोजित शिक्षकों में फैसला प्रोत्साहित करने वाला साबित होने की उम्मीद जगी है.
सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार से पूछा है कि सरकार उन्हें वेतनमान क्यों नहीं देना चाहती, अन्य कर्मियों से उनकी सैलरी कम क्यों है, शिक्षक सम्मानित होते हुए भी उनकी यह स्थिति क्यों है, ऐसे कई सवालों ने राज्य सरकार को सोचने पर मजबूर कर दिया है.
सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई
राज्य में मौजूद करीब पौने चार लाख नियोजित शिक्षकों में लगभग तीन लाख 19 हजार शिक्षक प्रारंभिक शिक्षक हैं. इसमें 66 हजार शिक्षकों का वेतन राज्य सरकार पूरी तरह से अपने मद से देती है. जबकि, दो लाख 53 हजार शिक्षकों का वेतन एसएसए (सर्व शिक्षा अभियान) के माध्यम से दिया जाता है.
इनके वेतन में 60 फीसदी रुपये केंद्र और 40 फीसदी रुपये राज्य सरकार देती है. सिर्फ नियोजित शिक्षकों की सैलरी पर अभी राज्य सरकार करीब 11 हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च करती है. इसके अलावा केंद्र से भी 22-23 हजार करोड़ रुपये सैलरी समेत अन्य कार्यों के लिए एसएसए के अंतर्गत राज्य को प्राप्त होते हैं.
अगर नियोजित शिक्षकों को नियमित शिक्षकों की तर्ज पर वेतनमान देना पड़ा, तो राज्य को इस पर 28 हजार करोड़ से ज्यादा सालाना खर्च करने पड़ेंगे. इस तरह राज्य सरकार के खजाने पर सीधे 17 हजार करोड़ का अतिरिक्त भार सिर्फ सैलरी मद में पड़ेगा.
शिक्षा के बजट का 90% जायेगा वेतन में : चालू वित्तीय वर्ष में शिक्षा विभाग का बजट 32 हजार 125 करोड़ का है, जो राज्य के कुल बजट का 19 फीसदी है. इसमें 28 हजार करोड़ से ज्यादा रुपये सिर्फ शिक्षकों को वेतन देने में चले जायेंगे. यह आर्थिक भार शिक्षा विभाग के कुल बजट का 90 फीसदी और राज्य के कुल बजट का करीब 17 फीसदी है.
इसी तरह से केंद्र को भी एसएसए के मद में राज्य को मुहैया करायी जाने वाली हिस्सेदारी में दो गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी करनी पड़ेगी. अगर राज्य और केंद्र दोनों के खर्च को मिला दिया जाये, तो नियोजित शिक्षकों की सैलरी पर 36 हजार 998 करोड़ का खर्च आयेगा. इस आर्थिक बोझ को वहन करना राज्य और केंद्र दोनों के लिए काफी अधिक होगा.

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