पटना: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के एक बालिका गृह में 34 लड़कियों के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हो गयी है. इस बालिका गृह में रही 44 लड़कियों में 42 की मेडिकल जांच करायीगयी थी. इनमें से 29 का यौन शोषण होने की पूर्व में पुष्टि हो चुकी थी. दो लड़कियों के बीमार होने के कारण उनकी जांच नहीं हो पायी थी. मुजफ्फरपुर की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरप्रीत कौर ने आज बताया कि 42 में से 11 अन्य बच्चियों की मेडिकल बोर्ड से रिपोर्ट मिल गयी है. इनमें से पांच का यौन शोषण किये जाने की पुष्टि हुई है.
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि 44 में से दो बीमार बच्चियों में चार वर्ष की एक बच्ची मानसिक रूप से विक्षिप्त है और वर्तमान में मधुबनी जिला में है. एक अन्य बच्ची की अभी भी तबीयत खराब होने के कारण उसे मेडिकल बोर्ड के समक्ष जांच के लिए पेश नहीं किया जा सका. इस बच्ची को पटना जिले के मोकामा स्थित आश्रय गृह में रखा गया है. बिहार के समाज कल्याण विभाग की ओर से अनाथ, बेसहारा, सड़क पर रहने वाले बच्चे एवं बाल मजदूरी अथवा मानव व्यापार से मुक्त कराये गये बच्चों के लिए विभिन्न जिलों में 06-18 आयु वर्ग के बालक एवं बालिकाओं के लिए बाल गृह संचालित किए जाते हैं.
इन बाल गृहों का संचालन राज्य सरकार द्वारा स्वयं तथा स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से किया जाता है. मुजफ्फरपुर जिले में बालिका गृह के संचालन के लिए स्वययंसेवी संस्थाओं सेवा संकल्प एवं विकास समिति के साथ 24 अक्तूबर 2013 को करार किया गया था. जिले में इसका संचालन एक नवंबर 2013 से किया जा रहा था. बिहार में बाल गृहों में बच्चों की देखरेख एवं सुरक्षा की स्थिति, गृह प्रबंधन एवं नियमों के अनुपालन की वस्तु स्थिति जानने के लिए तथा अनियमितताएं पाये जाने पर सुधारात्मक कदम उठाये जाने के उद्देश्य से समाज कल्याण विभाग ने इन सभी बाल गृहों का सामाजिक अंकेक्षण करने का निर्णय किया.
यह जिम्मेवारी मुंबई स्थित टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेस (टीआईएसएस) की कोशिश टीम को दी गयी. टीआईएसएस ने बिहार के इन सभी बाल गृहों का सामाजिक अंकेक्षण कर अपनी रिपोर्ट गत 27 अप्रैल को सौंप दी थी. रिपोर्ट का अध्ययन किये जाने के बाद गत 30 मई को, सेवा संकल्प एवं विकास समिति द्वारा संचालित एक बालिका गृह में लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न को लेकर स्थानीय महिला थाना में प्राथमिकी दर्ज कर जांच शुरू की गयी थी.
जांच में वर्ष 2013 से बालिका गृह के अभिलेखों की छानबीन की गयी तो पता चला कि चार लड़कियां बालिका गृह से फरार हैं. ये चारों नवंबर-दिसंबर 2013 में बालिका गृह में आयी थीं और दिसंबर 2013 में ही फरार दिखायी गयी हैं. पुलिस इस तथ्य का सत्यापन कर रही है. एक बालिका गत 28 मार्च को बालिका गृह में आयी थी. उसके डिस्चार्ज की तिथि अभिलेखों में अंकित नहीं है. जांच में उसका पता लग गया है. वह मुजफ्फरपुर जिले में ही विवाह के उपरांत अपने ससुराल में रह रही है. तीन बालिकाओं के मृत होने की प्रविष्टियां अभिलेखों में है. एक की तिथि 2015 एवं दो की तिथि 2017 है। इनका सत्यापन किया जा रहा है.
यौन उत्पीड़न मामले में बालिका गृह के संचालक ब्रजेश ठाकुर सहित कुल 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है. इनके नाम किरण कुमारी, मंजू देवी, इन्दू कुमारी, चन्दा देवी, नेहा कुमारी, हेमा मसीह, विकास कुमार एवं रवि कुमार रौशन हैं. एक अन्य फरार दिलीप कुमार वर्मा की गिरफ्तारी के लिए प्रयास जारी हैं. इस बालिका गृह को गत 31 मई से बंद कर दिया गया है एवं संस्था को काली सूची में डाल दिया गया है.
मामले में लापरवाही बरतने एवं कर्तव्यहीनता के आरोप में जिला बाल संरक्षण इकाई, मुजफ्फरपुर की पूर्व सहायक निदेशक रोजी रानी को निलंबित कर दिया गया है. वर्तमान सहायक निदेशक दिवेश कुमार शर्मा एवं पूर्व सहायक निदेशका रोजी रानी के विरूद्ध विभागीय कार्रवाई भी शुरू की गयी है. गत 24 जुलाई को बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र के दौरान सरकार की ओर से इस मामले पर जवाब देते हुए संसदीय कार्य मंत्री श्रवण कुमार ने बताया था कि मुख्यमंत्री भिक्षावृति निवारण योजना के अन्तर्गत पटना जिला में महिला अल्पावास गृह सह वर्गीकरण केन्द्र के संचालन के लिए स्वयं सेवी संस्था सेवा संकल्प एवं विकास समिति का चयन किया गया था. लेकिन, सामाजिक अंकेक्षण प्रतिवेदन में उल्लेखित घटना के मद्देनजर केंद्र का संचालन गत आठ जून को स्थगित कर दिया गया. राज्य की नीतीश कुमार सरकार ने बालिका गृह में यौन उत्पीड़न मामले की गत 26 जुलाई को सीबीआई से जांच किए जाने की अनुशंसा कर दी थी.