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बिहार : विधान परिषद के सभापति पद पर टिकीं विपक्ष की निगाहें

दीपक कुमार मिश्रा संख्या बल के मामले में विपक्ष कमजोर, 75 सदस्यीय सदन में जदयू है सबसे बड़ी पार्टी पटना : बिहार विधान परिषद की विभिन्न समितियों के गठन के बाद अब विपक्ष की निगाहें सभापति पद पर टिकी हैं. हालांकि, संख्या बल के मामले में विपक्ष कमजोर है. इसके बाद भी विपक्ष इस ताने-बाने […]

दीपक कुमार मिश्रा
संख्या बल के मामले में विपक्ष कमजोर, 75 सदस्यीय सदन में जदयू है सबसे बड़ी पार्टी
पटना : बिहार विधान परिषद की विभिन्न समितियों के गठन के बाद अब विपक्ष की निगाहें सभापति पद पर टिकी हैं. हालांकि, संख्या बल के मामले में विपक्ष कमजोर है.
इसके बाद भी विपक्ष इस ताने-बाने में जुटा है कि सभापति की कुर्सी वैसे सदस्य को मिले जो विपक्षी के मुद्दे को भी सदन में रखने के लिए पर्याप्त समय दे. हालांकि, सभापति का चयन सत्र चलने के दौरान ही होता है. जुलाई में सत्र संभावित है. सभापति का पद करीब डेढ़ साल से खाली है. अभी जदयू के हारुण रशीद कार्यकारी सभापति हैं. इनके पहले भाजपा के अवधेश नारायण सिंह सभापति थे.
पचहत्तर सदस्यीय विधान परिषद में अभी सभी सीटें फूल हैं. संख्या बल के हिसाब से हिसाब से सदन में जदयू सबसे बड़ी पार्टी है. उसके 32 सदस्य हैं.
इसके बाद भाजपा का नंबर है. भाजपा के 22 सदस्य हैं. राजद के नौ सदस्य हैं और सदन में संख्या बल में तीसरे स्थान पर है. यह भी महत्वपूर्ण है कि राज्य के मुख्यमंत्री व उपमुख्यमंत्री दोनों इसी सदन के सदस्य हैं. परिषद में कांग्रेस के तीन, सीपीआई और लोजपा के दो-दो, हम और रालोसपा के एक-एक तथा तीन निर्दलीय सदस्य हैं.
गठबंधन के हिसाब से देखा जाये तो एनडीए के पास 59 सदस्य हैं और महागठबंधन के मात्र तेरह. राजनीतिक प्रेक्षक भी कहते हैं कि जहां खेल संख्या बल का हो, वहां विपक्ष कहीं नहीं टिकता. विपक्ष के अलावा भाजपा की भी नजर सभापति के पद पर है लेकिन संख्या बल में वह भी जदयू के सामने नहीं टिकती है.
विधान परिषद में अगड़ी जाति के हैं 29 सदस्य
विधान परिषद की फूल बेंच हो जाने के बाद परिषद का जातिगत आंकड़ा भी बदल गया है. सदन में राजपूत व ब्राह्मण समाज के दस-दस लोग सदस्य हैं. इसके अलावा यादव और वैश्य समाज से आने वाले 11-11 लोग मेंबर हैं.
आठ मुसलमान, अनुसुचित जाति के छह लोग परिषद के सदस्य हैं. इसके अलावा सात भूमिहार, दो कायस्थ, तीन कुशवाहा, दो कुर्मी, दो धानुक और एक-एक बिंद, तुरहा और मल्लाह समाज के लोग परिषद के सदस्य हैं.
राबड़ी को विपक्ष का नेता किया जाये घोषित
राजद सहित सभी विपक्षी दल राबड़ी देवी को विपक्ष के नेता का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. उपमुख्यमंत्री बनने के पहले तक सुशील कुमार मोदी सदन में नेता विरोधी दल थे. उनके उपमुख्यमंत्री बनने के बाद से यह पद खाली है.

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