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बिहार : नकली इंजेक्शन की फैक्टरी मिली, नहीं हत्थे चढ़े बड़े माफिया, पांच प्यादे ही पकड़ाये, भेजे गये जेल
पटना : राजधानी के तीन बड़ी मेडिकल दुकानों से नकली इंजेक्शन की बड़ी खेप पकड़े जाने के बाद चौबीस घंटे बाद भी पुलिस वह फैक्टरी नहीं बरामद कर सकी है, जहां उसकी पैकेजिंग हो रही थी. पकड़े गये पांच आरोपितों ने पुलिस को चकमा दे दिया. दरअसल पकड़े गये आरोपित काफी होशियार निकले, उन्होंने तीन […]
पटना : राजधानी के तीन बड़ी मेडिकल दुकानों से नकली इंजेक्शन की बड़ी खेप पकड़े जाने के बाद चौबीस घंटे बाद भी पुलिस वह फैक्टरी नहीं बरामद कर सकी है, जहां उसकी पैकेजिंग हो रही थी.
पकड़े गये पांच आरोपितों ने पुलिस को चकमा दे दिया. दरअसल पकड़े गये आरोपित काफी होशियार निकले, उन्होंने तीन और दुकानों का नाम बताया, जहां नकली इंजेक्शन होने की जानकारी दी. लेकिन, पुलिस छाक छानती रह गयी. बताये गये तीन दुकानों पर कुछ हासिल नहीं हुआ. इस बीच नकली इंजेक्शन के असली खिलाड़ी यानी ड्रग माफिया फरार हो गये. एक बार फिर पुलिस ड्रग माफिया को नहीं पकड़ पायी. सिर्फ पांच प्यादे ही हाथ आये. पुलिस ने सभी पांच आरोपितों को जेल भेज दिया है. इसमें कामलेंदु, विकास, समीर, गुलाम रब्बानी व दीपू शामिल हैं.
सिर्फ पटना में ही नहीं, ग्रामीण इलाकों में भी हो रही है सप्लाई : नकली दवा और इंजेक्शन की सप्लाइ राजधानी में ही नहीं, बल्कि बिहार के ग्रामीण इलाके में भी बड़े पैमाने पर हो रही है.
सूत्रों कि मानें, तो गाेपालगंज, सीवान, छपरा इलाके में ज्यादातर मेडिकल दुकान चलानेवाले कारोबारी इस तरह की दवा की सप्लाई मंगाते हैं. पटना में हुई छापेमारी के बाद अभी यह पुलिस की तफ्तीश में यह आना बाकी है कि जो इंजेक्शन पकड़े गये हैं उसकी पैकेजिंग कहां हो रही थी. फैक्टरी कहां पर बनायी गयी थी. सप्लाई कैसे की जाती थी, कौन-कौन लोग इसमें शामिल थे.
इस काले कारोबार को कौन संचालित कर रहा था. अगर पुलिस अपनी कार्रवाई में इन सवालों का जवाब तलाश लेती है, तो आरोपित बचेंगे नहीं. वरना फिर साक्ष्य के अभाव में अदालत से सभी पांच आरोपितों को बेल मिल जायेगी. पुलिस को ड्रग माफिया की जड़ें खोदनीं होगी.
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