छपरा : बिहार के महाराजगंज संसदीय क्षेत्र में आज कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न कराए गए उपचुनाव में 47 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान किया. जिलाधिकारी और निर्वाची पदाधिकारी अभिजित सिन्हा ने कहा कि 47 प्रतिशत मतदान के साथ महाराजगंज में उपचुनाव आज शांतिपूर्ण संपन्न हो गया. इस संसदीय सीट के तहत सारण और सीवान जिलों के छह विधानसभा क्षेत्र आते हैं जिनके लिए 1476 मतदान केंद्र बनाए गए थे और शांतिपूर्ण ढंग से मतदान कराने के लिए अर्धसैनिक बलों की 20 कंपनियां और बिहार सैन्य पुलिस की 10 कंपनियां और सात हजार अतिरिक्त पुलिसकर्मियों की तैनाती की गयी थी.
बिहार और उत्तरप्रदेश की सीमा पर स्थित महाराजगंज संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 14.99 लाख है और इसमें सारण के चार विधानसभा क्षेत्र बनियापुर, एकमा, तरैया एवं मांझी तथा सीवान जिले के दो विधानसभा क्षेत्र गोरिया कोठी एवं महाराजगंज शामिल हैं. वर्ष 2009 में संपन्न लोकसभा चुनाव के दौरान इस संसदीय सीट पर 45.68 प्रतिशत मतदान हुआ था जबकि आज संपन्न उपचुनाव में मतदान का प्रतिशत 47 रहा. आज संपन्न उपचुनाव में सबसे अधिक 52 प्रतिशत मतदान महाराजगंज विधानसभा क्षेत्र में हुआ जबकि नक्सल प्रभावित तरैया विधानसभा क्षेत्र जहां मतदान चार बजे ही समाप्त हो गया था, वहां मतदान का प्रतिशत 48 रहा. जिन प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला आज मतपेटियों में बंद हो गया उनमें जदयू के पी के शाही, राजद के प्रभुनाथ सिंह, कांग्रेस के जितेन्द्र स्वामी, भारतीय एकता दल के बालेन्द्र कुमार राय और दो निर्दलीय उम्मीदवार ओम प्रकाश सिंह और एवं विकास कुमार सिंह शामिल हैं.
महाराजगंज के राजद सांसद उमाशंकर सिंह के आकस्मिक निधन के कारण इस संसदीय सीट पर आज उपचुनाव कराया गया. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में उमाशंकर के हाथों पराजित हुए तत्कालीन जदयू उम्मीदवार प्रभुनाथ सिंह पूर्व में तीन बार इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं जबकि वर्तमान में जदयू उम्मीदवार पी के शाही प्रदेश के शिक्षा मंत्री हैं तथा जितेंद्र स्वामी स्वर्गीय उमाशंकर सिंह के पुत्र हैं. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज चल रहे प्रभुनाथ सिंह जदयू छोडकर राजद में शामिल हो गए थे. इस उपचुनाव को जहां एक तरफ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके घोर विरोधी राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के लिए प्रदेश में अपनी-अपनी लोकप्रियता मापने के एक अवसर के रुप में माना जा रहा है वहीं दूसरी तरफ अगले वर्ष 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर भी इसे राजनीतिक दल महत्वपूर्ण मान रहे हैं.