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पटना : अच्छे और बुरे कर्मों का फल जीवन में भुगतना पड़ता है

पटना : श्रीमद भागवत साप्ताहिक भक्ति ज्ञान यज्ञ समारोह आयोजन समिति की ओर से बैंक रोड स्थित तारा हाॅस्पीटल के निकट एमएस मेंसन में सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन के दूसरे दिन वृंदावन धाम बेनी पट्टी मधुबनी के आचार्य दामाेदार दास जी ने श्रीमद् भागवत कथा का सार बताया. कथाकार ने अपनी अमृतमयी वाणी […]

पटना : श्रीमद भागवत साप्ताहिक भक्ति ज्ञान यज्ञ समारोह आयोजन समिति की ओर से बैंक रोड स्थित तारा हाॅस्पीटल के निकट एमएस मेंसन में सात दिवसीय भागवत कथा का आयोजन के दूसरे दिन वृंदावन धाम बेनी पट्टी मधुबनी के आचार्य दामाेदार दास जी ने श्रीमद् भागवत कथा का सार बताया. कथाकार ने अपनी अमृतमयी वाणी से कथा का वाचन शुरू करते हुए कहा कि भागवत का आश्रय करने वाला कोई भी दुखी नहीं होता है.
भगवान शिव ने सुखदेव बनकर सारे संसार को भागवत सुनायी है. इसके बाद उन्होंने श्रोताओं को कर्मों का सार बताते हुए कहा कि कर्मों का फल भुगतना पड़ता है. उन्होंने भीष्म पितामह का उदाहरण देते हुए कहा कि जब भीष्म पितामह छह महीने से वाणों की शैय्या पर लेटे थे तब वे सोच रहे थे कि मैंने कौन सा पाप किया है जो मुझे इतने कष्ट सहन करना पड़ रहे हैं. उसी वक्त भगवान कृष्ण उनके पास आते हैं. तब भीष्म पितामह कृष्ण से पूछते है कि मैंने ऐसे कौन से पाप किये है कि वाणों की शैय्या पर लेटा हूं. तब भगवान कृष्ण ने भीष्म पितामह से कहा कि आप अपने पुराने जन्मों को याद करो और सोचो कि आपने कौन सा पाप किया है.
भीष्म बहुत ज्ञानी थे. उन्होंने कृष्ण से कहा कि मैंने अपने पिछले जन्म में रत्तीभर भी पाप नहीं किया है. इस पर कृष्ण ने कहा कि पिछले जन्म में जब आप राजकुमार थे और घोड़े पर सवार होकर कहीं जा रहे थे. उसी दौरान आपने एक नाग को जमीन से उठाकर फेंक दिया तो कांटों पर लेट गया था पर छह माह तक उसके प्राण नहीं निकले थे. उसी कर्म का फल है जो आप वाणों की शैय्या पर लेटे हैं. इसका मतलब है कि कर्म का फल सभी को भुगतना होता है.

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