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राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार : बिहार के अभिनेता पंकज त्रिपाठी से बातचीत, कहा, जुनून से खुलती हैं जिंदगी की राहें

II पवन प्रत्यय II ज्यूरी में बिहार का था दबदबा ‘न्यूटन’ फिल्म में शानदार अभिनय के लिए स्पेशल अवॉर्ड पाने वाले बिहार के पंकज त्रिपाठी का मानना है कि जुनून व जिद हर काम को आसान बना देता है. संसाधन व अभाव किसी भी मुकाम को हासिल करने में आड़े नहीं आ सकता, बशर्ते कोशिश […]

II पवन प्रत्यय II
ज्यूरी में बिहार का था दबदबा
‘न्यूटन’ फिल्म में शानदार अभिनय के लिए स्पेशल अवॉर्ड पाने वाले बिहार के पंकज त्रिपाठी का मानना है कि जुनून व जिद हर काम को आसान बना देता है. संसाधन व अभाव किसी भी मुकाम को हासिल करने में आड़े नहीं आ सकता, बशर्ते कोशिश दृढ़ व मजबूत हो़ उन्होंने कहा, मुझे मिला अवार्ड अभिनय के क्षेत्र ें लगातार संघर्ष कर रहे ग्रामीण युवाओं, खासकर बिहार, झारखंड व यूपी के नौजवानों, को समर्पित है. पंकज का जन्म गोपालगंज जिले के बेलसंड गांव के एक किसान परिवार में हुआ.
अभिनय से परिवार के सदस्यों का दूर-दूर तक कोई सरोकार नहीं था. ऐसे परिवेश से बाहर निकल कर पटना, दिल्ली व मुंबई में संघर्ष करते हुए इस मुकाम को हासिल करना बड़ी बात है. पंकज उन युवाओं के लिए आत्मबल भी हैं, जो संघर्ष करते हुए कई वजहों से टूट जाते हैं.
चालीस दिनों तक न मोबाइल था, न इंटरनेट
पंकज कहते हैं,’न्यूटन’ सच्ची घटना पर आधारित फिल्म नहीं है, लेकिन काफी शोध के बाद इसकी कहानी लिखी गयी है. शूटिंग में 40 दिनों का समय लगा़ इस कारण 40 दिनों तक हम मोबाइल व इंटरनेट से दूर रहे. कभी-कभार मोबाइल का नेटवर्क काम करता था. जंगल में खाना बनाने की अनुमति नहीं थी़. इसलिए भोजन के लिए भी हमें जंगल से काफी दूर जाना पड़ता था.
सिनेमा का अच्छा दौर,अच्छे एक्टर्स को इज्जत
पकंज ने ‘फुकरे’, ‘मसान’, ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’, ‘ओमकारा’, ‘गुंडे’, ‘निल बटे सन्नाटा’, ‘अनारकली ऑफ आरा’ और ‘मांझी : द माउंटेन मैन’ जैसी कई फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया है. पंकज बताते हैं, भारतीय दर्शकों को कंटेंट आधारित फिल्में पसंद आ रही हैं. यह सिनेमा का अच्छा दौर है. ऐसे दौर में अच्छे एक्टर्स को इज्जत व शोहरत मिलेगी.
ज्यूरी में बिहार का दबदबा
नेशनल फिल्म अवार्ड की घोषणा करने के दाैरान शुक्रवार को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में ज्यूरी के चार मेंबर मंच पर थे. इनमें में से तीन बिहार के थे. जाने-माने फिल्म निर्देशक शेखर कपूर के साथ हिंदी-मैथिली की मशहूर लेखिका उषा किरण खान, साहित्यसेवी अराधना आशीष प्रधान और पत्रकार अनंत विजय मंच पर थे.
इस ज्यूरी में बिहार से ताल्लुक रखने वाले फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम और झारखंड से जमशेदपुर की डॉ नेहा तिवारी भी थीं. यह पहला मौका था, जब अवार्ड की घोषणा करनेवालों में इतनी संख्या में बिहार के लोग थे.
फिल्म समीक्षक विनोद अनुपम ने बताया कि पहली दफा नेशनल फिल्म अवार्ड का लोकतांत्रीकरण हुआ है. अब तक ज्यूरी बोर्ड में दिल्ली और मुंबई के लोग ही भरे रहते थे. इस बार अलग-अलग राज्यों के छोटे-छोटे शहरों के लोगों को ज्यूरी में जगह दी गयी. बिहार के ही गिरिधर झा को फिल्म समीक्षा के लिए अवार्ड देने की घोषणा हुई है.
शूटिंग के वक्त गांव को जिया
पंकज कहते हैं, ‘न्यूटन’ की शूटिंग के वक्त घर की याद आती थी़ शूटिंग छत्तीसगढ़ के जंगलों में हुई थी. वहां वैनिटी वैन नहीं पहुंच सकती थी. ब्रेक में आराम के लिए मैंने गांव के लोगों से बात कर एक खटिया का जुगाड़ कर लिया. जब भी ब्रेक मिलता, पेड़ के नीचे खाट पर लेट कर आराम कर लेता था.

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