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पटना : 70 एकड़ में किसानों ने की मेहनत, लहलहायी फसल

पटना : मिट्टी की बिगड़ती सेहत के लिए शून्य जुताई विधि संजीवनी साबित हुई है. शून्य जुताई विधि से बिक्रम के बाघाकोल में किसानों ने खेती प्रारंभ की तो कम लागत में बेहतर परिणाम सामने आने लगे. बिक्रम के बाघाकोल में 20 किसानों की मेहनत 70 एकड़ में गेहूं की फसल के रूप में दिखने […]

पटना : मिट्टी की बिगड़ती सेहत के लिए शून्य जुताई विधि संजीवनी साबित हुई है. शून्य जुताई विधि से बिक्रम के बाघाकोल में किसानों ने खेती प्रारंभ की तो कम लागत में बेहतर परिणाम सामने आने लगे. बिक्रम के बाघाकोल में 20 किसानों की मेहनत 70 एकड़ में गेहूं की फसल के रूप में दिखने लगी है.
इसके पीछे भारतीय कृषि अनुसंधान केंद्र (आईसीएआर) के वैज्ञानिकों की भी मेहनत है. इन्हीं वैज्ञानिकों की अगुआई में किसानों ने काम शुरू किया तो गेहूं की बेहतर फसल के रूप में परिणाम सामने है. खास बात यह कि अब यहां के किसान बीज उत्पादन में नाम कमाएंगे. इसके लिए किसानों का रजिस्ट्रेशन बिहार राज्य प्रमाणन एजेंसी में भी करा दिया गया है. दिल्ली से आये कृषि वैज्ञानिकों के साथ ही आईसीएआर की टीम लगातार इन गांवों का दौरा कर रही है.
खर्च कम, मुनाफा ज्यादा : आईसीएआर के कृषि वैज्ञानिक केके राव ने बताया कि थोड़ी सी समझदारी से किसान काम लें तो बेहतर उत्पादन किया जा सकता है. शून्य जुताई करके किसान अच्छा लाभ ले सकते हैं. खास बात यह है कि इससे मिट्टी की सेहत भी ठीक रहेगी. बिक्रम के बाघाकोल में भी किसानों ने कुछ ऐसा ही किया है.

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