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बिहार : शराबबंदी का असर, मद्य निषेध विभाग का सर्वे, लिवर के 20% तो हार्ट के 25% घटे मरीज

एक अप्रैल को शराबबंदी के दो साल पूरे हो रहे हैं. इस दौरान लोगों के जीवन में आये सकारात्मक बदलावों को प्रभात खबर पाठकों के सामने ला रहा है. पटना : प्रदेश में शराबबंदी के बाद तनाव, सड़क हादसा, हृदय और लिवर के मरीजों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गयी है. शराबबंदी के […]

एक अप्रैल को शराबबंदी के दो साल पूरे हो रहे हैं. इस दौरान लोगों के जीवन में आये सकारात्मक बदलावों को प्रभात खबर पाठकों के सामने ला रहा है.
पटना : प्रदेश में शराबबंदी के बाद तनाव, सड़क हादसा, हृदय और लिवर के मरीजों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गयी है. शराबबंदी के बाद आम लोगों के जीवन में क्या असर पड़ा है, इसको लेकर किये गये एक सर्व में यह खुलासा हुआ है.
मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग की ओर से कराये गये इस सर्व में पाया गया है कि तनाव के मामले में 75%, तो लिवर के 20% और हृदय के मरीजों में 25% की गिरावट दर्ज की गयी है. इन बीमारियों के अलावा तनाव में भी भारी कमी आयी है.
25 जिलों में कराया गया सर्व : मद्य निषेध एवं उत्पाद विभाग के अधिकारियों के मुताबिक राज्य के 25 जिलों में अलग-अलग दिन सर्व कराया गया.
इसमें आम लोगों के साथ ही प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों से डाटा एकत्रित किया गया. आम लोगों से सात तरह के सवाल भी किये गये. उनके द्वारा दिये गये जवाब में यह बात सामने आयी है कि डिप्रेशन, तनाव और चिंता करने के मामले में 75 से 80% तक की गिरावट आयी है. यानी कुल 75 से 80% लोगों ने माना कि शराबबंदी के बाद गृह कलह खत्म हुए और पारिवारिक रिश्ते में बढ़ोतरी हुई है.
शराब के अधिक सेवन से इसका असर लिवर पर पड़ता है. नतीजा लिवर में सूजन और पेट की समस्या देखने को मिलती थी. शराबबंदी से पहले अकेले आईजीआईएमएस, पटना में रोजाना 70 और 120 से 130 मरीज आते थे.
लेकिन शराबबंदी के बाद आधे से भी कम मरीज हो गये. वहीं सर्व रिपोर्ट के दौरान लिये गये आंकड़ों के अनुसार लिवर की बीमारी पूरे प्रदेश में 20% घटी है. इसके अलावा सड़क दुर्घटना व हार्ट अटैक के मामले में भी 25% की कमी आयी है. डॉक्टरों की मानें तो एरिदिमिया रिदम और एक्यूट कोरोनरी सिंड्रोम की घटनाएं कम हुई हैं.
मरीजों की संख्या में कमी
शराबबंदी के बाद पीएमसीएच में मरीजों की संख्या में काफी कमी दर्ज की गयी है. खासकर लिवर, हृदय और सड़क हादसे के मामले काफी कम आ रहे हैं. जबकि शराब के सेवन के परेशान मरीजों की संख्या पहले अधिक थी. बिहार की जनता और स्वास्थ्य को लेकर यह काफी अच्छा साबित हो रही है. यही वजह है कि अस्पतालों में इलाज व्यवस्था भी काफी सुधरी है.
डॉ विजय कुमार गुप्ता, प्रिंसिपल, पीएमसीएच
डिप्रेशन के मामलों में 95% तक कमी : जिन 25 जिलों में सर्वे किया गया, उनमें आधा दर्जन से अधिक जिलों में शराबियों के डिप्रेशन के मामले 95% तक कम हो गये हैं. इन जिलों में समस्तीपुर, शिवहर, सीतामढ़ी, सहरसा, मुंगेर, लखीसराय, कैमूर, गोपालगंज, मधुबनी, आरा और बक्सर है. इनमें पटना में शराब पीने वाले लोगों में 85% और गया जिले में 90% की कमी आयी है.
सर्वे में पूछे गये थे ये सात सवाल
– स्वास्थ्य में सुधार हुआ या नहीं?
– शराबबंदी के बाद डिप्रेशन, चिंता, लिवर व हृदय रोग जैसी बीमारी किस हद तक कम हुई है?
– चिंता व तनाव की स्थिति कम हुई है या नहीं?
– काम करने की क्षमता किस तरह से प्रभावित हुई है?
– परिवार के बीच होने वाले कलह पर इसका क्या असर पड़ा है?
– बचत में सुधार की क्या स्थिति है?
– आय में बढ़ोतरी हुई या नहीं?

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