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बिहार : ब्रेक के सहारे रोज उतारे जा रहे 37 विमान, न्यूनतम जरूरत से भी छोटा है पटना एयरपोर्ट का रनवे

पटना : सोमवार को काठमांडू एयरपोर्ट पर हुए भीषण विमान हादसे के बाद से हवाई यात्रा की सुरक्षा पर व्यापक बहस शुरू हो गयी है. इसी के साथ जरूरत से छोटे रनवे पर हर दिन 37 फ्लाइट उतारने वाला पटना एयरपोर्ट एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. यहां रनवे की लंबाई एयरबस […]

पटना : सोमवार को काठमांडू एयरपोर्ट पर हुए भीषण विमान हादसे के बाद से हवाई यात्रा की सुरक्षा पर व्यापक बहस शुरू हो गयी है. इसी के साथ जरूरत से छोटे रनवे पर हर दिन 37 फ्लाइट उतारने वाला पटना एयरपोर्ट एक बार फिर से चर्चा में आ गया है.
यहां रनवे की लंबाई एयरबस 320 और बोइंग 737 जैसे विमानों के लैंडिंग के न्यूनतम जरूरत से भी कम है. इसकी वजह से लैंडिंग के दौरान विमान की गति को कम करने के लिए ब्रेक का इस्तेमाल करना पड़ता है जो हवाई सुरक्षा मानकों के विरुद्ध है. हवाई सुरक्षा विशेषज्ञों की मानें ताे पायलट और एटीसी का बेहतर तालमेल और अतिरिक्त सावधानी ही है, जो यहां हर दिन सुरक्षित फ्लाइट उड़ाये और उतारे जा रहे हैं. किसी दिन इसमें हल्की चूक भी हुई तो काठमांडू से भी भीषण हादसा यहां हो सकता है.
9000 की जगह केवल 6800 फीट लंबा रनवे : एयरबस 320 और बोइंग 737 जैसे विमानों के परिचालन के लिए 2743 मीटर (9000 फीट) लंबे रनवे की जरूरत है, लेकिन पटना एयरपोर्ट के रनवे की लंबाई केवल 2072 (6800 फीट) मीटर है. उसका भी विशिष्ट भौगोलिक संरचना की वजह से पूरा इस्तेमाल संभव नहीं हो पाता है. पूर्व की तरफ से (रनवे 25) इसके इस्तेमाल होनेवाले भाग की लंबाई 1938 मीटर और पश्चिम की तरफ से (रनवे 7) केवल 1677 मीटर है.
बेसिक स्ट्रिप व सैंड बैग पिट की चौड़ाई भी कम
सेंट्रल लाइन से दोनों ओर रनवे के बेसिक स्ट्रीप का विस्तार 150 मीटर होना चाहिए, लेकिन पटना एयरपोर्ट पर यह इससे कम है. रनवे के दोनों सिरे पर 90- 90 मीटर का सैंड बैग पिट होना चाहिए ताकि विमान के फिसलने की स्थिति में वह पिट में फंस जाये और नुकसान कम हो, लेकिन जगह की कमी की वजह यह भी कम विस्तृत है.
मैनुअल फॉल्ट बन रहे दुर्घटनाओं की वजह
नयी-नयी तकनीकों के आने की वजह से हर दिन तकनीकी रूप से विमान यात्रा अधिक सुरक्षित होती जा रही है. पिछले दिनों हुए ज्यादातर विमान हादसों की वजह मैकेनिकल फॉल्ट नहीं हो कर मैनुअल फॉल्ट रही है.
अंग्रेजी भाषा पर कम पकड़ के कारण एटीसी और पायलट के आपसी संवाद में शिथिलता, एक-दूसरे के आग्रह व निर्देश को गलत समझ लेना जैसे मानवीय भूल व परिस्थितिजन्य दोष जैसा कि सोमवार को काठमांडू में देखने को मिला, इसकी वजह होते हैं.

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