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बिहार : जमीनों की अवैध खरोद-फरोख्त पर लगेगी रोक

1995 से पहले के भू-दस्तावेज अॉनलाइन पटना :पुरानी जमीनों के अवैध ढंग से क्रय-विक्रय की कारस्तानी पर लगाम लगाने को लेकर सिस्टम में पारदर्शिता लाने के लिए अब वर्ष 1995 से पहले के भूमि संबंधी दस्तावेज ऑनलाइन कर दिये जायेंगे. ये कवायद मार्च के अंतिम हफ्ते तक पूरी हो जायेगी. जिला निबंधन कार्यालय ने इसका […]

1995 से पहले के भू-दस्तावेज अॉनलाइन
पटना :पुरानी जमीनों के अवैध ढंग से क्रय-विक्रय की कारस्तानी पर लगाम लगाने को लेकर सिस्टम में पारदर्शिता लाने के लिए अब वर्ष 1995 से पहले के भूमि संबंधी दस्तावेज ऑनलाइन कर दिये जायेंगे. ये कवायद मार्च के अंतिम हफ्ते तक पूरी हो जायेगी. जिला निबंधन कार्यालय ने इसका ट्रायल शुरू कर दिया है.
आधिकारिक जानकारी के मुताबिक इससे पहले 1995 से लेकर 2005 तक के दस्तावेजों को ऑनलाइन किया जा चुका है. 1995 से पहले के दस्तावेजों में सबसे पहले 1990 तक के दस्तावेजों को ऑनलाइन किया जायेगा. ताकि, जमीनों की फर्जी रजिस्ट्री पर रोक लग सकें. इससे पहले के सालों के रिकाॅर्ड काफी जर्जर हो चुके हैं. इसलिए पहले उसको संरक्षित किया जा रहा है. इसके बाद उसे भी ऑनलाइन कर दिया जायेगा.
बीते दो वर्षों से समाहरणालय स्थित पुराने कार्यालय में रिकाॅर्ड रूम में रखे पुराने दस्तावेजों को ऑनलाइन का काम लगभग पूरा कर लिया गया है.
जल्द ही लोग घर बैठे अपनी जमीनों का डिटेल ऑनलाइन देख सकेंगे. दस्तावेजों की स्कैनिंग का काम पूरा हो गया है. वेबसाइट पर अपलोड करने का काम भी अंतिम चरण में है. जिला निबंधन कार्यालय में काफी पुराने दस्तावेज हैं, जो उचित रखरखाव के अभाव में खराब हो रहे हैं. दस्तावेजों की स्कैनिंग की प्रक्रिया लगभग छह साल से जारी है. वर्तमान में 1995 से पूर्व 1990 तक के पुराने दस्तावेजों को आॅनलाइन किया जा रहा है, जो अंतिम प्रक्रिया में है.
दो भागों में बांट कर काम
निबंधन विभाग के दस्तावेज को ऑनलाइन करने का काम टास्क वन और टू के रूप में किया गया है. टास्क वन में जहां 2005 से पूर्व 1995 और 1990 से भी पुराने दस्तावेजों को रखा गया है. वहीं, टास्क टू में 2005 से अब तक के दस्तावेजों की सूची है. पटना, दानापुर, बिक्रम, बाढ़ व मसौढ़ी इलाके के पुराने दस्तावेजों का काम भी लगभग पूरा हो गया है.
वहीं, 1990 से पूर्व के कुछ दस्तावेज ऐसे भी है, जिन्हें स्कैनिंग करने में काफी परेशानी हो रही है. क्योंकि, पुराने होने के कारण दीमक लग जाने से स्कैनिंग के दौरान वह चूर-चूर होने लगते हैं. लेकिन, ज्यादातर दस्तावेजों को अब ऑनलाइन किया गया है. उसे वेबसाइट पर अपलोड भी कर दिया गया है. इसके बाद उसकी टेस्टिंग की जा रही है. ताकि, वेबसाइट पर अपलोड होने के बाद उसे चेक करने में कहीं कोई परेशानी तो नहीं आ रही है.
फर्जीवाड़े पर लगाम
वर्षों पुराने दस्तावेजों को ऑनलाइन किये जाने से फर्जीवाड़े पर लगाम लग सकेगा. लोग गलत तरीके से एक ही जमीन पर रजिस्ट्री करा लेते हैं. भू-माफिया आम लोगों को विवादित जमीन बेच दिया करते थे़ क्योंकि, उन्हें जमीन के असली मालिकाना हक का पता नहीं चल पाता था. दस्तावेजों को ऑनलाइन होने के बाद खरीददार उन जमीनों के बारे में जानकारी ले पायेंगे. उन्हें जमीन की पूरी जानकारी मिल सकेगी.

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