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बिहार : रिहाइशी इलाके में ध्वनि प्रदूषण को लेकर पटना के डीएम तलब
पटना : पटना के आलमगंज और सुल्तानगंज के रिहाइशी इलाके में अवैध तरीके से चल रहे लघु उद्योग और उससे से बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण पर पटना हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है. अदालत में इस मामले में कार्रवाई नहीं करने पर पटना के जिलाधिकारी को 13 मार्च को अदालत में तलब किया है. मुख्य […]
पटना : पटना के आलमगंज और सुल्तानगंज के रिहाइशी इलाके में अवैध तरीके से चल रहे लघु उद्योग और उससे से बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण पर पटना हाईकोर्ट ने नाराजगी व्यक्त की है. अदालत में इस मामले में कार्रवाई नहीं करने पर पटना के जिलाधिकारी को 13 मार्च को अदालत में तलब किया है.
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस संबंध में दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया. अदालत को याचिकाकर्ता की ओर से बताया गया की पटना सिटी के आलमगंज और सुल्तानगंज के इलाके में अवैध तरीके से अलमारी, बर्तन बनाने के कर कारखाने हैं.
इस कारखाने से काफी ध्वनि प्रदूषण होता है. इससे आमजनों को काफी दिक्कत होने के साथ ही उनके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है. इस मामले में बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के रिपोर्ट के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. इससे पहले की सुनवाई में पटना हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए उचित कार्रवाई करने का निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिया था, बावजूद इसके अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.
राज्य की अदालतों में सरकारी अधिवक्ताओं की बहाली मामले में पटना पटना हाईकोर्ट में शुक्रवार को सुनवाई हुई. अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह 20 मार्च तक अपना जवाब अदालत में दे.
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कुमार विमल व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर शुक्रवार को सुनवाई की. हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि कोर्ट चयन प्रक्रिया या पारदर्शिता के मामले पर सुनवाई कर सकती है.
अदालत ने राज्य सरकार को यह भी बताने को कहा है कि यदि वह संविधान के अनुच्छेद 309 के तहत लॉ ऑफिसर को बहाल करता है तो उसे उनकी सारी जिम्मेदारी उठाने को तैयार रहना होगा. 20 मार्च को फिर सुनवाई होगी. मुख्य न्यायाधीश ने मौखिक रूप से कहा कि महाराष्ट्र एवं मध्य प्रदेश में महिलाओं को सरकारी वकील की नियुक्ति में 20 प्रतिशत की भागीदारी है. राज्य सरकार को भी इसका पालन करना होगा.
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