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बिहार : पंचायत सरकार भवन निर्माण का उद्देश्य
पंचायत सरकार भवन से निष्पादित होने वाले कार्य पंचायत सरकार भवन जिसे लोग बोलचाल की भाषा में पंचायत का सचिवालय भी कहते हैं. जहां पंचायत से संबंधित किसी भी कार्य के लिए ग्रामीणों को प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाने से छुटकारा मिल जायेगा. उन्हें इंदिरा आवास वर्तमान में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना,भूमि संबंधित दाखिल-खारिज,लगान रसीद […]
पंचायत सरकार भवन से निष्पादित होने वाले कार्य
पंचायत सरकार भवन जिसे लोग बोलचाल की भाषा में पंचायत का सचिवालय भी कहते हैं. जहां पंचायत से संबंधित किसी भी कार्य के लिए ग्रामीणों को प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाने से छुटकारा मिल जायेगा.
उन्हें इंदिरा आवास वर्तमान में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना,भूमि संबंधित दाखिल-खारिज,लगान रसीद समेत भूमि से संबंधित अन्य कार्य,विभिन्न पेंशन योजना, आय व जाति समेत अन्य प्रमाणपत्र के अलावा जन्म व मृत्यु प्रमाणपत्र समेत अन्य सुविधाएं पंचायत सरकार भवनों में ही ग्रामीणों को मिल जानी है. उक्त भवन में पंचायत सचिव, पंचायत का मुखिया व सरपंच समेत अन्य जनप्रतिनिधियों व कर्मियों के बैठने के लिए कक्ष उपलब्ध है.
इसके अलावा ग्राम कचहरी के लिए न्यायालय कक्ष, अभिलेखों के संरक्षण के लिए स्थान, स्टैंडिग कमेटी की बैठक के लिए हॉल,आम लोगों के लिए स्वागत कक्ष, कंप्यूटराईज्ड सेवा प्रदान करने के लिए सेवा केंद्र, पैंट्री एवं शौचालय के साथ अन्य सुविधाएं उपलब्ध हैं . इसके बावजूद सब केवल दिखावा बनकर रह गया है. लोग आज भी टकटकी लगाये बैठे हैं कि कब उन्हें प्रखंडों में चक्कर लगाने से छुटकारा मिल पायेगा.
मुखिया राेना रो रहे हैं कर्मियों की कमी का
इस संबंध में मसौढ़ी के चरमा व लखनौर बेदौली की मुखिया क्रमश: रजनी देवी व देवंती देवी से बात की गयी तो उनका कहना था कि पूरे प्रखंड की 18 पंचायतों में मात्र दो पंचायत सेवक हैं. इन दोनों पंचायत सेवकों के ही जिम्मे प्रखंड की 18 पंचायतों का कार्य है
प्रखंड से ही उन्हें छुट्टी नहीं है तो वे यहां कहां से आ पायेंगे .उनका कहना था कि पंचायत सेवक की स्थायी प्रतिनियुक्त के बिना पंचायत सरकार भवन में कार्य करना मुश्किल है.उन्होंने कहा कि बैठक वगैरह जरूरत के मुताबिक कर लेते हैं पंचायत भवन में. उधर, ग्रामीणों का कहना था कि केवल बैठक करने के लिए इतनी बड़ी राशि से भवन का निर्माण कराने का कोई औचित्य नहीं समझ में आता.
इस संबंध में मसौढ़ी के बीडीओ कृष्ण मुरारी व धनरूआ के रामजी पासवान का कहना है कि पंचायत सरकार भवन में कार्य नहीं शुरू होने के पीछे कर्मियों का अभाव है. पर्याप्त संख्या में कर्मी नहीं हैं .इस वजह से परेशानी हो रही है . हालांकि, उनका कहना था कि मुखिया या सरपंच सप्ताह में कुछ दिन बैठते हैं.
जब उनसे पूछा गया कि पंचायत के लोगों को प्रखंड कार्यालय का चक्कर नहीं लगाना पड़े और एक ही छत के नीचे उनका सारा कार्य निष्पादित हो जाये. इसी उद्देश्य को लेकर भवन का निर्माण हुआ है . इससे तो सरकार का उद्देश्य सफल होता नहीं दिखता. वहीं, ग्रामीणों को प्रखंड कार्यालय का चक्कर लगाना ही पड़ रहा है.इन सारे सवालों पर वे कुछ नहीं बोल पाये.
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